सर्वशैल शक्तिपीठ, आंध्रप्रदेश (Sarvasail Shaktipeeth, Andhra Pradesh)

यहां दर्शन करने से गौ हत्या के पाप से भी मिल जाती है मुक्ति, गौतम ऋषि के श्राप से जुड़ी मंदिर की कहानी


दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर में सर्वशैल शक्तिपीठ स्थित है। इसे गोदावरी तीर शक्तिपीठ भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां माता सती का बायां गाल गिरा था। यहां की शक्ति है विश्वेश्वरी जिन्हें राकिनी, या विश्वमातुका भी कहते है और शिव को वत्सनाभ और दण्डपाणि के नाम से जाना जाता है। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहां गोदावरी नदी में स्नान करने और फिर माता के दर्शन कर प्रायश्चित करने से गौ हत्या तक के पाप से मुक्ति मिल जाती है।


एक कथा के अनुसार ऋषि गौतम अपनी पत्नी अहिल्या के साथ त्र्यंबकेश्वर में ब्रह्मगिरी पहाड़ियों पर रहते थे। ऋषि गौतम ने एक बार एक गाय को भगाने की कोशिश की जिससे उनके अन्न भंडार में रखे सारे चावल खा लिए थे। ऋषि ने गाय को भगाया लेकिन दुर्घटनावश गाय मर गयी। ऋषि ने भगवान शिव का ध्यान किया और खुद को गौ हत्या से मुक्त करना चाहा। उन्होंने भगवान शिव से अपने आश्रम को पवित्र करने के लिए गंगा लाने का अनुरोध किया। भगवान शिव ऋषि गौतम की पूजा से प्रसन्न होकर शिव त्रयंबक के रूप में प्रकट हुए और गंगा नदी को त्र्यंबकेश्वर में उतारा। गोदावरी नदी को गौतमी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसे ऋषि गौतम ने उतारा था। ऋषि गौतम को “गौहत्या” के पापों से मुक्त करने के लिए नीचे उतरे। इस मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया, इसके बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है।


ऊंचाई पर स्थित पर मंदिर के गोपुरम में कई देवी-देवताओं की छवियां गढ़ी गई हैं। 'पुष्करम मेला' मंदिर का प्रमुख आकर्षण है, जो गोदावरी नदी के तट पर हर बारहवें वर्ष मनाया जाता है।  मंदिर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 7 बजे तक भक्तों के लिए खुला रहता है।


राजमुंदरी रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। मंदिर तक पहुंचने के लिए रेलवे स्टेशन से टैक्सियां ​​और बसें आसानी से उपलब्ध हैं। मंदिर से निकटतम हवाई अड्डा राजमुंदरी हवाई अड्डा है, जो मंदिर से लगभग 12 किमी दूर है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से बस सेवाएं आसानी से उपलब्ध हैं।


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