आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
शिश मणी मौरिया, कुण्डल सोहे कनमा,
कारी कारी कजरारी जुलमी नयनमा,
लाल चंदन सोहे इनके भाल सखिया,
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
श्यामल-श्यामल, गोरे- गोरे, जोड़ीया जहान रे,
अँखिया ना देखनी सुनलीं ने कान हे
जुगे जुगे, जीबे जोड़ी बेमिसाल सखिया
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
गगन मगन आजु, मगन धरतिया,
देखि देखि दुलहा जी के, साँवर सुरतिया,
बाल वृद्ध, नर-नारी, सब बेहाल सखिया
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
जेकरा लागी जोगी मुनि, जप तप कईले,
से मोरा मिथिला में पाहुन बन के अईले
आजु लोढ़ा से सेदाई इनके गाल सखिया..
चारों दुलहा में बड़का कमाल सखिया!
भगवान शिव के योद्धा अवतार को समर्पित चम्पा षष्ठी हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रुप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।
मेरा मन पंछी ये बोले,
उड़ वृन्दावन जाऊँ,
सनातन धर्म में इंद्रदेव को देवों के राजा और आकाश, वर्षा, बिजली और युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। इंद्रदेव के आशीर्वाद से पृथ्वी पर वर्षा होती है, जो कृषि और जीवन के लिए आवश्यक है।