नारायणी शरणम
दोहा – माँ से भक्ति है,
माँ से शक्ति है,
माँ से मुक्ति है,
करता जो माँ का सुमिरन,
होता सफल ये जीवन
नारायणी शरणम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
अष्टभुजंग है दुर्गा स्वरूपिनी,
तेज है सौ सूर्यों सा,
चंदा सी शीतल ज्ञान शारदे,
पावन ज्यूँ गंगा जल,
देव करे वंदन,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
माँ की ज्योत में है वो शक्ति,
पत्थर बनते मोती,
पापी से भी हर पापी को ये,
मैया ही है उबारती,
होता सफल हर जनम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
झुँझन में माँ बैठ सिंहासन,
सबके कष्ट मिटाती,
बड़ी दयालु राणी सती माँ,
सबपे खुशियां लुटाती,
माँ का करो सुमिरन,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
मिलता सुकून माँ तेरे आँचल में,
सुख तेरे चरणन में,
‘निर्मल’ है जो भी आज वो मैया,
सब तेरे ही करम से,
गाउँ मैं गुण हरदम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
नारायणी शरणम,
नारायणी शरणम्,
नारायणी शरणम् ॥
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो माघ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन पिंडदान, तर्पण, अन्न और धन का दान, पवित्र नदी में स्नान और मौन व्रत किया जाता है।
साल 2025 में 29 जनवरी दिन बुधवार को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। इस बार मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा और इस दिन कुछ दुर्लभ संयोग भी बन रहे हैं।
मौनी अमावस्या का दिन पूजा-पाठ, अनुष्ठान और दान-पुण्य के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि मौनी अमावस्या पर किए गए उपायों से 100 वर्षों के दान के बराबर पुण्य मिलता है।
हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।