नारायणी शक्तिपीठ, तमिलनाडु (Narayani Shaktipeeth, Tamil Nadu)

स्थानुमलयन को समर्पित है यह शक्तिपीठ, शिव के संघरोर सम्हारा स्वरूप की होती है पूजा, इन्द्र को सिद्धी यहीं मिली 


तमिलनाडु के सुचिन्द्रम नामक स्थान पर माता सती के ऊपरी दांत गिरे थे। जिसके चलते यहां नारायणी या सुचिन्द्रम शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। यहां माता सती नारायणी रूप की पूजा होती है। 


यह मंदिर श्री स्थानुमलयन को समर्पित है। स्थानु शिव का, मल विष्णु का जबकि अयन ब्रह्मा का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका अर्थ है शिव, विष्णु और ब्रह्मा एक है।


सुचिन्द्रम शहर कन्याकुमारी से 11 किमी दूर है। सुचिन्द्रम का अर्थ है वह स्थान जहाँ इंद्र ने शुचि यानी शुद्धि प्राप्त की थी। यहां भगवान शिव को संघारोर सम्हारा के नाम से पूजा जाता है।


सुचिन्द्रम शक्तिपीठ मंदिर में सात भण्डार और सफेद गोपुरम हैं। इस मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। यह शक्तिपीठ हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर का प्रवेश द्वार लगभग 24 फीट ऊंचा है, जिसके द्वार पर शानदार मूर्तियां हैं।


यह मंदिर शैव और वैष्णव भक्तों के बीच लोकप्रिय है। मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं के लिए 30 से अधिक मंदिर हैं, जिनमें पवित्र स्थान में बड़ा लिंगम, अगले मंदिर में विष्णु की मूर्ति और उत्तरी गलियारे के पूर्वी छोर पर हनुमान की एक विशाल मूर्ति शामिल है।


मंदिर में पूजा करने का समय सुबह 04:30 से दोपहर  01:00 और शाम 4 से रात 8 बजे तक का है।  मंदिर में साल भर कई भव्य त्यौहार मनाए जाते हैं, जिनमें रथ यात्रा, नवरात्रि, शिवरात्रि, अशोकाष्टमी, दुर्गा पूजा और सुचिन्द्रम मार्गाजी शामिल हैं।


सुचिन्द्रम मंदिर तक पहुंचने के लिए कन्याकुमारी रेलवे स्टेशन निकटतम है, जो मात्र 3 किमी दूर है। यहां से त्रिवेन्द्रम इंटरनेशनल एयरपोर्ट 90 किमी दूर है।


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