हिंदू ज्योतिष शास्त्र में खरमास एक महत्वपूर्ण अवधि है। यह वह समय होता है जब सूर्य ग्रह गुरु की राशि धनु अथवा मीन में प्रवेश करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान ब्रह्मांड में एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। हालांकि, इस दौरान भी मनुष्य पूजन कर सकते हैं। बल्कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस काल में पूजन से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति भी हो सकती है। तो आइए इस आलेख में खरमास और इस काल में देव पूजन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बता दें कि खरमास साल में दो बार आता है। पहला मार्च से अप्रैल और दूसरा दिसंबर से जनवरी महीने तक।
इस वर्ष खरमास 15 दिसंबर 2024 से आरंभ होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नई शुरुआत, टाले जाने का सुझाव दिया जाता है।
खरमास के दौरान भले ही शुभ कार्य निषिद्ध हों, लेकिन इस समय भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी मानी जाती है। नियमित रूप से इन देवी-देवताओं का स्मरण और पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
खरमास में सूर्यदेव की पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है। सूर्यदेव को कर्म और आत्मा का कारक माना गया है। उनकी पूजा से व्यक्ति को मान-सम्मान, आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष दूर होते हैं।
खरमास के दौरान भगवान विष्णु जी की पूजा भी शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, विवाह में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। इसके अलावा कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।
‘मंत्र’ शब्द संस्कृत भाषा से आया है। यहां 'म' का अर्थ है मन और 'त्र' का अर्थ है मुक्ति। मंत्रों का जाप मन की चिंताओं को दूर करने, तनाव और रुकावटों को दूर करने एवं आपको बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में मदद करने का एक सिद्ध तरीका है।
देखो राजा बने महाराज,
आज राम राजा बने,
हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धता का माध्यम माना जाता है। मंत्र जाप ना सिर्फ मानसिक शांति प्रदान करता है।
देखो शिव की बारात चली है,
भोले शिव की बारात चली है,