Akshaya Navami Katha: अक्षय नवमी 2025 में 31 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है। अक्षय शब्द का अर्थ है, ‘जो कभी नष्ट न हो’। इसी कारण इसे ऐसा दिन माना गया है जब किए गए दान, व्रत और पूजन का फल कभी समाप्त नहीं होता। इस दिन धर्म और सत्कर्म से किया गया हर कार्य व्यक्ति के जीवन में शुभता लाता है। आइए जानते हैं अक्षय नवमी की धार्मिक कथा।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी से ही सतयुग का आरंभ हुआ था, इसलिए इस दिन को ‘सत्य युगादि’ कहा जाता है। यह दिन धर्म, सत्य और सदाचार का प्रतीक माना जाता है।
ऐसा कहा जाता है की भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन वृंदावन से मथुरा की यात्रा प्रारंभ की थी, ताकि वे अपने जीवन के महत्वपूर्ण कर्तव्यों का पालन कर सकें। इस कारण यह दिन कर्तव्य-पालन और धर्म-स्थापना का प्रतीक बन गया।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा कि कौन-सा वृक्ष सबसे पवित्र और पूजनीय है। तब भगवान विष्णु ने कहा कि आंवला वृक्ष सबसे पवित्र है, क्योंकि इसके नीचे किए गए दान और पूजा का फल अक्षय होता है।
कथानुसार, एक ब्राह्मण महिला ने कार्तिक नवमी के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु की पूजा की। उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर विष्णु भगवान ने उसे असीम आशीर्वाद दिया और कहा कि जो भी भक्त इस दिन आंवले की पूजा करेगा, उसके पाप नष्ट होंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी। तभी से अक्षय नवमी पर आंवले की पूजा की परंपरा प्रारंभ हुई।