Bhai Dooj 2025 Puja Vidhi: हिंदू धर्म में हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को यमद्वितीया भी कहा जाता है क्योंकि इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, जहाँ उनकी बहन ने तिलक लगा कर उनका स्वागत किया था। तभी से यह भाई-बहन के लिए एक रस्म बन गई। इस दिन बहनें अपने भाई की खुशहाली और लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं, जबकि भाई हमेशा अपनी बहनों की रक्षा करने की शपथ लेते हैं। आइए भाई दूज की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
भाई दूज का त्यौहार सुबह घर की सफाई और सजावट के साथ ही शुरू हो जाता है। बहनें अपने भाइयों के लिए लकड़ी की चौकी को फूल और रंगोली से सजाती हैं और उसे पूर्व दिशा की ओर मुख करके रखती हैं। फिर भाई दूज की पूजा के लिए रोली, चावल (अक्षत), दीपक, फूल, पान, सुपारी, मौली, मिठाई, कलश और आरती थाली तैयार करती हैं।
सबसे पहले बहनें अपने भाई के सिर पर कपड़ा या रूमाल रख उस पर फूल और अक्षत रखती हैं। फिर वे अपने भाइयों को तिलक करती हैं और पसंदीदा मिठाई तथा पान खिलाती हैं। इसके बाद पैसे, पान और सुपारी देती है, साथ ही उनके के लिए प्रार्थना करती है कि वह भी सुपारी की तरह मजबूत हो। अंत में बहनें अपने भाइयों को रक्षासूत्र बांधती हैं और आरती उतारकर यमराज से उनकी लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। कुछ स्थानों पर यमद्वितीया कथा भी सुनी जाती है।
भाई दूज से एक अत्यंत भावनात्मक कथा जुड़ी है। एक बार यमराज पहली बार अपनी बहन यमुना के घर गए और यमुना ने तिलक करके उनका स्वागत किया। इससे यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन को वचन दिया कि यदि बहनें भाई दूज पर अपने भाइयों को तिलक करेंगी तो उनके भाइयों को कभी भी यमलोक का भय नहीं रहेगा। उस समय से इस पर्व को भाई-बहन के प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।