भाई दूज का पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाता है। यह दिन दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व आखिरी दिन होता है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को यम द्वितीया और भ्रातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। यह दिन भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का भी प्रतीक है। लेकिन हर साल की तरह इस बार भी भाई दूज की तिथि को लेकर लोगों के मन में असमंजस बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं- इस बार भाई दूज कब है? तिलक का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा? साथ ही जानेंगे इसके धार्मिक महत्व के बारे में।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 22 अक्टूबर की रात 8 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रही है, जो 23 अक्टूबर की रात 10 बजकर 46 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में भाई दूज का महापर्व उदयातिथि के अनुसार, 23 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
मान्यताओं के अनुसार, भाईदूज के दिन भाई को शुभ मुहूर्त में तिलक लगाना अधिक फलदायी और मंगलकारी माना जाता है। ऐसा करने से भाई के जीवन में सुख, समृद्धि और दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में आइये आपको बताते हैं भाईदूज के दिन तिलक का शुभ मूहूर्त क्या है।
भाईदूज तिलक शुभ मुहूर्त - दोपहर 1:13 से 3:28 बजे तक
भाई दूज का पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है, जिसके पीछे एक पौराणिक कथा है। मान्यता है कि सूर्य की पुत्री यमुना अपने भाई यम को बहुत स्नेह करती थीं और उन्हें अक्सर अपने घर में खाना खाने के लिए बुलाया करती थीं। लेकिन व्यस्त रहने के कारण यम नहीं पहुंच पाते थे। मान्यता है कि एक बार जब यमुना के बुलाने पर यम उनके घर पहुंचे तो उन्होंने उनका तिलक लगाकर स्वागत किया और उन्हें ढेर सारे पकवान खिलाए। धार्मिक मत है कि जिस दिन यम यमुना के घर गये वह कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि थी। उस दिन यमुना माता ने अपने भाई से वचन मांगा कि वह हर साल उसी दिन उनके घर आया करेंगे। कहा जाता है कि तभी से भाई दूज पर्व की परंपरा की शुरुआत हुई।
भाई दूज के शुभ मुहूर्त में, बहनें अपने भाई के लिए एक विशेष पूजा करती हैं। सबसे पहले, चावल के आटे से एक चौक बनाकर भाई को उस पर बिठाएं। उनका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। फिर, भाई के माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं। इसके बाद, भाई के हाथ में कलावा बांधें और उन्हें मिठाई खिलाएं। घी का दीपक जलाकर भाई की आरती करें और उनकी लंबी उम्र की कामना करें। अंत में, भाई अपनी बहन के पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें उपहार दें, जो भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।