Dev Diwali 2025: कब और कैसे करें दीपदान, जानें सम्पूर्ण विधि और मंत्र 
हिंदू धर्मग्रंथों में कार्तिक मास की पूर्णिमा को अत्यंत शुभ माना गया है, जिसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष देव दीपावली का पर्व 5 नवंबर, बुधवार को पड़ रहा है। मान्यता है कि इस तिथि पर नदियों, सरोवरों या पवित्र जलस्थलों पर दीपदान करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख, समृद्धि व प्रकाश का संचार होता है। ऐसे में आइये जानते हैं देव दीपावली पर दीपदान की विधि, शुभ मुहूर्त और पूजन मंत्र।
देव दीपावली 2025 दीपदान का शुभ मुहूर्त 
साल 2025 में देव दीपावली का शुभ पर्व 5 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी संध्या के समय दीपदान का विशेष महत्व बताया गया है। 5 नवंबर को प्रदोष काल शाम 5 बजकर 15 मिनट से रात 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। हालांकि, श्रद्धालु इस समय के बाद भी दीपदान कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
देव दीपावली पर दीपदान करने के नियम और विधि 
देव दिवाली (कार्तिक पूर्णिमा) पर दीपदान करने की विधि और नियम कुछ इस प्रकार है- 
तैयारी- सामग्री और शुद्धि
- स्वयं स्नान करें और स्वच्छ, सभ्य वस्त्र धारण करें।
 
आवश्यक वस्तुएं: गंगा/सरसों का पानी (यदि उपलब्ध हो), आटे से बने छोटे-छोटे दीपक (लोई या मिट्टी के दीपक पर आटा भी रख सकते हैं), तिल का तेल या गाय का घी (घी संभव हो तो उत्तम), कुंकुम, चावल, अगरबत्ती, फूल और हाथ जोड़कर देने के लिए एक छोटा कटोरा।
- दीपक रखने के लिए कोई मोटा कागज़ या तख्ती तैयार रखें ताकि दीपक जलाकर उसे नदी/तालाब में आसानी से प्रवाहित किया जा सके।
 
समय (शुभ मुहूर्त)
दीपदान मुख्य रूप से प्रदोष काल (संध्या) में करें। इस वर्ष प्रदोष काल शाम 5 बजकर 15 मिनट से रात 7 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। (स्थानीय समय व पंचांग अनुसार समय की पुष्टि कर लें।) श्रद्धालु प्रदोष काल के बाद भी दीपदान कर सकते हैं। 
दीपदान की क्रमबद्ध विधि
दीपक तैयार करें: आटे के बने दीपक पर तिल का तेल या गाय का घी डालें।
- दीपक प्रज्वलित करते समय सरल मंत्र उच्चारित करें:
 
“शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।”
- अर्थ: जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा देता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप की रोशनी को मैं नमन करता हूँ॥
 
- दीपक पर हल्का सा कुंकुम छिड़कें और चावल से आशीर्वाद दें।
 
- हाथ जोड़कर, अपने परिवार और घर की सुख-शांति के लिए मन से प्रार्थना करें।
 
- दीपक को मोटे कागज़/तख्ती पर सुरक्षित रखकर नदी/तालाब के शांत जल में प्रवाहित करें। 
 
देव दिवाली पर घर में दीप जलाने के नियम
- देव दिवाली के दिन विषम संख्या में दीपक जलाना अत्यंत शुभ माना गया है।
 
- दीपक की संख्या आप अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार चुन सकते हैं — जैसे 5, 7, 11, 21 या 51।
 
- शास्त्रों में घर में 108 दीपक जलाना सबसे शुभ बताया गया है।
 
- यदि संभव न हो तो केवल 5 दीपक भी पूर्ण भक्ति और भाव से जलाना शुभ फल देता है।
 
गंगा घाट पर देव दीपावली का महत्व और दीपदान नियम
- देव दीपावली का उत्सव गंगा घाट या किसी भी पवित्र नदी के तट पर सबसे भव्य रूप में मनाया जाता है।
 
- मान्यता है कि इस दिन सभी देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं।
 
- इस पवित्र अवसर पर कम से कम 11 दीपक जलाना शुभ माना गया है।
 
- यदि किसी विशेष संकल्प या कार्य की पूर्ति के लिए दीपदान किया जा रहा हो, तो 365 दीपक जलाना अत्यंत फलदायी होता है।
 
- ऐसा करने से मां गंगा प्रसन्न होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
 
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