सितंबर के महीने में वातावरण में एक आध्यात्मिक शांति सी घुलने लगती है। ऐसे ही शांत समय में एकादशी व्रत आता है, जो भक्तों के लिए केवल उपवास का नहीं, बल्कि आत्म-संयम और श्रीहरि विष्णु की भक्ति का प्रतीक होता है। इस साल, 2025 में सितंबर के महीने में दो एकादशी व्रत आएंगे। दोनों का अपना महत्व है और अपनी कथा है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि विशेष मानी जाती है।
सितंबर महीने की पहली एकादशी, 1 सितंबर,सोमवार को मनाइ जाएगी। ये व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को आता है, जिसे ‘परिवर्तिनी’ या ‘जलझूलनी’ एकादशी कहते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि इसी दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में करवट बदलते हैं। भक्तजन इस दिन विशेष पूजा करते हैं, मंदिरों में रात्रि जागरण होता है और व्रत रखकर श्रीहरि का नाम जपते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो इस दिन व्रत करता है, उसके सारे पाप कट जाते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी तिथि
लेकिन उदयातिथि नियम की प्रधान होती है, यानी जो तिथि सूर्योदय के समय रहती है, वही मानी जाती है। इसलिए 17 सितंबर को ही व्रत रखा जाएगा।
इंदिरा एकादशी की कथा और इसका पुण्यफल श्राद्ध से जुड़ा हुआ है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत करता है, और पितरों के लिए आहुति देता है, उनके पूर्वजों को स्वर्ग में स्थान मिलता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी यमराज के नियमों को भी प्रभावित करती है।
पुराणों के अनुसार, राजा इंद्रसेन ने इसी एकादशी का पालन कर अपने मृत पिता को स्वर्ग में स्थान दिलाया था। नारद मुनि स्वयं, उन्हें यह उपाय बताने आए थे। इसीलिए यह सिर्फ व्रत नहीं, श्रद्धा और विश्वास की भी परीक्षा मानी जाती है।