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कालाष्टमी पूजा विधि

कालाष्टमी पूजा विधि

कालाष्टमी पर ऐसे करें काल भैरव की पूजा, खुशहाली से भर जाएगा जीवन, जानें विधि और महत्व


सनातन हिन्दू धर्म में कालाष्टमी का काफी महत्व होता है। कालाष्टमी भगवान काल भैरव को समर्पित होता है। इस दिन काल भैरव के पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ये पर्व हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव के एक उग्र रूप काल भैरव की पूजा होती है। काल भैरव की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और जीवन की सभी समस्याएं भी समाप्त होती हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में काल भैरव की पूजन विधि, इसके महत्व और लाभ को विस्तार पूर्वक जानते हैं।  



काल भैरव पूजन हेतु आवश्यक पूजन सामग्री


  1. काल भैरव की मूर्ति अथवा चित्र, 
  2. फूल, 
  3. धूप, 
  4. दीपक, 
  5. नैवेद्य,
  6. सरसों का तेल, 
  7. काला तिल, 
  8. सुपारी, 
  9. लौंग, 
  10. गंगाजल, 
  11. दूध, 
  12. दही, 
  13. शहद, 
  14. घी, 
  15. कुमकुम, 
  16. रोली, 
  17. चंदन, 
  18. नारियल, 
  19. काले रंग का कुत्ता (यदि उपलब्ध हो) 



काल भैरव की पूजा विधि


  1. कालाष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और पूजा कर व्रत का संकल्प लें।
  3. भगवान काल भैरव की मूर्ति या चित्र को एक साफ चौकी पर स्थापित करें।
  4. मूर्ति पर गंगाजल, दूध, दही, शहद और घी से अभिषेक करें।
  5. मूर्ति को कुमकुम, रोली और चंदन से सजाएं और फूलों की माला पहनाएं।
  6. सरसों के तेल का दीपक जलाएं और भगवान को जलेबी, इमरती, पान आदि का भोग लगाएं।
  7. काले तिल, सुपारी और लौंग अर्पित करें।
  8. “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें और भगवान काल भैरव की आरती करें।
  9. भगवान काल भैरव का तीन बार प्रदक्षिणा लगाएं और लोगों को प्रसाद वितरित करें।
  10. कालाष्टमी के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
  11. इस दिन भगवान काल भैरव को शराब अर्पित करने की भी प्रथा है। हालांकि, यह  आवश्यक नहीं है।
  12. पूजा करते समय सकारात्मक भाव रखें और मन में किसी भी प्रकार का भय, द्वेष इत्यादि की भावना ना रखें।
  13. पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण करें और जरूरतमंदों को दान करें। 


कालाष्टमी के दिन इन बातों का रखें विशेष ध्यान 


कालाष्टमी के दिन शुद्ध मन से व्रत रखें और भगवान काल भैरव के मंदिर में दर्शन करने को जाएं। इस दिन शिव पुराण का भी पाठ करें। साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। इसके अलावा इस दिन किसी से भी झूठ ना बोलें।

कालाष्टमी के दिन मांस-मदिरा का सेवन ना करें।

और इस दिन किसी का अपमान भी ना करें।



कालाष्टमी के दिन का महत्व


भगवान काल भैरव को भगवान शिव का एक उग्र रूप माना जाता है। उन्हें समय और मृत्यु का स्वामी भी कहा जाता है। काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं। काल भैरव को शत्रुओं का नाश करने वाला माना जाता है। उनकी पूजा करने से व्यक्ति के सभी शत्रु नष्ट हो जाते हैं। काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति में साहस आता है और सभी प्रकार के भय दूर हो जाते हैं। काल भैरव की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। काल भैरव को न्याय का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से कानूनी मामलों में सफलता मिलती है। काल भैरव की पूजा करने से व्यापार में वृद्धि होती है। साथ ही सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। काल भैरव की पूजा करने से भय और आतंक का समापन होता है। और इस दिन की गई पूजा से रोगों से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है।


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