सनातन धर्म में भगवान विष्णु की उपासना के लिए एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भक्त विधिवत व्रत रखते हैं, भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और दान-पुण्य के कार्यों से ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 6 नवंबर से मार्गशीर्ष माह आरंभ हो रहा है। इस महीने में दो प्रमुख एकादशियां आएंगी। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष मास की इन एकादशियों की सटीक तिथियां, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष 6 नवंबर से मार्गशीर्ष माह आरंभ हो रहा है। इस महीने में दो प्रमुख एकादशियां आएंगी - कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी और शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी।
उत्पन्ना एकादशी पारण का समय - इस दिन व्रत का पारण करने का समय दोपहर 12 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 08 मिनट तक है।
मोक्षदा एकादशी पारण का समय - मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण करने का समय 02 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 51 मिनट से 09 बजकर 04 मिनट तक है।
एकादशी के दिन दान करना बहुत लाभकारी माना गया है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के बाद श्रद्धापूर्वक अन्न, धन और पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। धार्मिक मत है कि एकादशी के दिन किया गया दान कई गुना फल देता है और जीवन में सुख, समृद्धि और ईश्वरीय कृपा का संचार होता है।
एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की इस विधि से करें पूजा
पूजा सामग्री:
पूजा विधि
एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का संयुक्त पूजन करें। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें। इसके बाद फल-फूल, गंगाजल, धूप-दीप और प्रसाद अर्पित करें। दिन में एक बार फलाहार करें और रात्रि में भगवान विष्णु के सामने दीपक जलाएं। भगवान के मंत्रों का जाप करें और अगले दिन द्वादशी पर ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें। इस व्रत में गर्म वस्त्रों का दान विशेष पुण्यदायी माना गया है।
पूजा सामग्री:
पूजा विधि
एकादशी पर प्रातःकाल स्नान के बाद श्रीकृष्ण का अभिषेक करें। भगवान को तुलसी और तिल अर्पित करें। तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा करें और उसमें जल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान विष्णु को केले और हलवे का भोग लगाएं, पीले वस्त्र अर्पित करें तथा श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री और तुलसी चढ़ाकर आरती करें।