परिवर्तिनी एकादशी को ‘जलझूलनी एकादशी’ और ‘पद्मा एकादशी’ भी कहा जाता है। यह व्रत विशेष होता है, इस दिन भगवान विष्णु क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर शयन कर रहे होते हैं। लेकिन, इस दिन वो करवट बदलते हैं। इसलिए इसे शास्त्रों में ‘परिवर्तिनी’ एकादशी कहा गया है। साथ ही, ऐसी धार्मिक मान्यताएं है कि इसी दिन से शरद ऋतु की शुरुआत होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में परिवर्तिनी एकादशी व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर 2025 को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर होगा और समाप्ति 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर होगी। इसलिए उदयतिथि के अनुसार 3 सितंबर का दिन उपवास के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
शास्त्रों में इस व्रत का फल अपार बताया गया है। जो भक्त सच्चे मन से एकादशी का उपवास करते हैं, उन्हें समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए 3 सितंबर के दिन व्रत रखें, ध्यान करें, और भगवान विष्णु के पूजन में मन लगाएं।