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पितृदोष दूर करने के उपाय

पितृदोष दूर करने के उपाय

Pitra Dosh ke Upay: पितृदोष को दूर करने के सरल उपाय जानिए, यह कब खत्म हो जाता है

Pitra Dosh ke Upay: वैदिक ज्योतिष में पितृदोष को बहुत बड़ा दोष माना गया है। कहते हैं कि जब यह दोष कुंडली में बनता है तो जातक को जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कभी धन का अभाव, कभी संतान सुख में रुकावट, तो कभी पारिवारिक कलह और मानसिक तनाव लगातार परेशान करते हैं। पितृदोष से पीड़ित जातक की मेहनत के बावजूद उन्नति रुक जाती है और जीवन कष्टमय हो जाता है। हालांकि शास्त्रों में इसके लिए कठिन और खर्चीले उपाय बताए गए हैं, लेकिन कुछ बेहद आसान और सरल उपाय भी हैं जिन्हें करने से पितृदोष का असर कम किया जा सकता है।

पितृदोष दूर करने के सरल उपाय

  • पूर्वजों की स्मृति – घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने दिवंगत परिजनों का चित्र लगाकर रोजाना उनकी पूजा करें और आशीर्वाद मांगें।
  • श्राद्ध और तर्पण – स्वर्गीय परिजनों की निर्वाण तिथि पर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। भोजन में मृतात्मा की पसंद की कोई वस्तु अवश्य रखें।
  • दान-पुण्य – इस दिन गरीबों को वस्त्र, अन्न और फल दान करें। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
  • पीपल पूजन – दोपहर में पीपल के पेड़ पर गंगाजल, दूध, पुष्प और तिल चढ़ाएं और अपने पूर्वजों का स्मरण करें।
  • मंत्र जाप – शाम को दीपक जलाकर महामृत्युंजय मंत्र, रुद्रसूक्त या पितृ स्तोत्र का पाठ करें।
  • शिव पूजन – सोमवार के दिन शिवलिंग पर बिल्वपत्र, दूध और आक के पुष्प चढ़ाकर पूजा करें। लगातार 21 सोमवार यह करने से दोष का असर कम होता है।
  • कुलदेवता की उपासना – प्रतिदिन इष्टदेव और कुलदेव की आराधना करें।
  • सहायता और सेवा – गरीब कन्याओं की शादी में मदद करना या उनकी बीमारी में सहयोग करना भी पितृदोष से मुक्ति का उपाय है।
  • गोदान और जल सेवा – ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, राहगीरों को शीतल जल पिलाना या कुआं खुदवाना पुण्य का कार्य माना गया है।
  • पौधारोपण – पीपल और बरगद के पेड़ लगाएं और उनकी सेवा करें। साथ ही श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें।
  • सामाजिक कार्य – पितरों के नाम से विद्यालय, धर्मशाला, मंदिर या अस्पताल बनवाना या गरीब विद्यार्थियों की मदद करना भी दोष शांत करता है।

इसके अलावा प्रतिदिन कर्पूर जलाना, कौओं, चिड़ियों, गाय और कुत्तों को भोजन देना तथा एकादशी का व्रत करना भी पितृदोष के प्रभाव को कम करता है।

पितृदोष कब खत्म होता है

ज्योतिष शास्त्र मानता है कि पितृदोष तभी शांत होता है जब जातक अपने कुल धर्म और परंपरा का पालन करता है, घर की महिलाओं का सम्मान करता है और अपने आचरण को शुद्ध रखता है। पितृपक्ष के दौरान किया गया श्राद्ध, तर्पण और दान विशेष फल देता है। खासकर सर्वपितृ अमावस्या पर किया गया पिंडदान और ब्राह्मण भोज पितरों को संतुष्ट करता है। जब पितृ प्रसन्न हो जाते हैं तो उनका आशीर्वाद मिलने लगता है और धीरे-धीरे यह दोष शांत हो जाता है।

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