वैदिक परंपरा में पितृदोष को गंभीर दोष माना गया है। जब किसी जातक की कुंडली में पितृदोष बनता है तो उसका असर पूरे परिवार पर दिखाई देता है। संतान सुख में बाधा, परिवारिक कलह, आर्थिक तंगी और मानसिक अशांति जैसे परिणाम सामने आते हैं। शास्त्रों के अनुसार पितरों की आत्मा को तृप्त करने और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए कुछ विशेष तीर्थ स्थलों पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का महत्व बताया गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन पवित्र स्थलों पर किया गया कर्मकांड पूर्वजों की आत्मा को शांति देता है और वंशजों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ब्रह्मकपाल, बद्रीनाथ
उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के पास स्थित ब्रह्मकपाल स्थान पितृकर्म के लिए अत्यंत प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहां पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा स्वर्गलोक को प्राप्त करती है। पुराणों में भी उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मकपाल में श्राद्ध कर्म करने से पितृ दोष शांत हो जाता है और पितर प्रसन्न होकर वंशजों पर कृपा बरसाते हैं।
गया, बिहार
पितृकर्म की बात हो और गया का उल्लेख न हो, ऐसा संभव नहीं। बिहार राज्य में फल्गु नदी के तट पर बसा गया शहर पितृ श्राद्ध के लिए सबसे पवित्र स्थलों में गिना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु अपने पितरों के लिए पिंडदान और तर्पण करने आते हैं। मान्यता है कि गया में एक बार पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृदोष का निवारण होता है।
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल प्रयागराज पितृकर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पितृ पक्ष में यहां आकर पिंडदान करने से माना जाता है कि आत्मा को मृत्यु के बाद जिन कष्टों से गुजरना पड़ता है, वे सभी समाप्त हो जाते हैं। संगम पर तर्पण करने से पितरों को तृप्ति और वंशजों को आशीर्वाद प्राप्त होता है।
हरिद्वार, उत्तराखंड
गंगा तट पर बसा हरिद्वार भी पितृकर्म का प्रमुख केंद्र है। विशेषकर नारायण शिला पर किया गया श्राद्ध और तर्पण पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति कराता है। मान्यता है कि हरिद्वार में गंगा स्नान और पिंडदान करने से पापों का नाश होता है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
उज्जैन, मध्यप्रदेश
महाकाल की नगरी उज्जैन भी पितृकर्म के लिए प्रसिद्ध है। शिप्रा नदी के तट पर पितरों का श्राद्ध और पिंडदान करने से आत्माओं को शांति मिलती है। यहां आकर किए गए कर्मकांड से पितृदोष का प्रभाव कम होता है और घर-परिवार में सुख-शांति आती है।