हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धार्मिक तौर पर भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इससे पर्व से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
इस वर्ष अप्रैल माह में दूसरा प्रदोष व्रत 26 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। 25 अप्रैल, शुक्रवार के दिन त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ रात्रि 11:44 बजे से होगा और 26 अप्रैल, शनिवार को रात्रि 8:27 बजे समाप्त होगा। इसलिए सूर्योदय तिथि के कारण प्रदोष व्रत 26 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। धार्मिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा। इस तिथि में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
भारत में भगवान चित्रगुप्त जी के कई प्रमुख मंदिर हैं। जिनमें पटना, गोरखपुर, कांचीपुरम और उज्जैन के मंदिर विशेष महत्व रखते हैं। ये मंदिर वास्तुकला, सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्था का प्रतीक माने जाते हैं।
छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू होने जा रहा है। यह 04 दिनों तक चलने वाला पर्व है। जो शुद्धता, संकल्प और यम- नियमों पर आधारित है।
छठ पूजा का पर्व आस्था, संयम और शुद्धता का प्रतीक है। इसे बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।
कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाने वाला छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है। इस साल यह 5 नवंबर 2024 को नहाय-खाय से शुरू होगा और 8 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा।