अप्रैल महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है

Vaishakh Pradosh Vrat 2025: जानिए अप्रैल महीने के दूसरे प्रदोष व्रत की पूजा विधि और उपाय, इससे होता है भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त 


हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। धार्मिक तौर पर भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। इससे पर्व से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।


शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा प्रदोष काल

इस वर्ष अप्रैल माह में दूसरा प्रदोष व्रत 26 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। 25 अप्रैल, शुक्रवार के दिन त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ रात्रि 11:44 बजे से होगा और 26 अप्रैल, शनिवार को रात्रि 8:27 बजे समाप्त होगा। इसलिए सूर्योदय तिथि के कारण प्रदोष व्रत 26 अप्रैल, शनिवार को मनाया जाएगा। धार्मिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रदोष काल शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा। इस तिथि में भगवान शिव की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।


भगवान शिव को अर्पित करें नैवेद्य

  • इस दिन प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर सूर्यदेव को जल अर्पित करें और दिन की शुभ शुरुआत करें।
  • शाम के समय प्रदोष काल में शिवलिंग का दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें और अंत में स्वच्छ जल अर्पित करें।
  • फिर शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और सफेद फूल अर्पित करें।
  • भगवान शिव को नैवेद्य और फल चढ़ाएं। 
  • अंत में भगवान शिव की आरती करें और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें और प्रसाद को भक्तों में बांटें। साथ ही, प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो।


प्रदोष व्रत के दिन पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं दीपक 

  • इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें, जिससे पुण्य की प्राप्ति हो।
  • प्रदोष व्रत के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं और सात बार परिक्रमा करें। इससे पितृ दोष और राहु-केतु दोष का शमन होता है।
  • शिवलिंग पर जल में काले तिल मिलाकर अर्पित करें। इससे जीवन की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मानसिक शांति मिलती है।

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काल भैरव जंयती के उपाय

शास्त्रों में भगवान काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से बुरी शक्तियों से मुक्ति मिलती है।

मत रोवै ए धौली धौली गाँ (Mat Rove Aie Dholi Dholi Gay)

मत रोवे ऐ धौली धौली गाय,
दुनियाँ में अड़े कोई ना सुखी,

जरा चलके अयोध्या जी में देखों (Jara Chalke Ayodhya Ji Me Dekho)

जरा चल के अयोध्या जी में देखो,
राम सरयू नहाते मिलेंगे ॥

तेरे दरशन को गणराजा, तेरे दरबार आए है (Tere Darshan Ko Ganraja Tere Darbar Aaye Hai)

तेरे दर्शन को गणराजा ॥
दोहा – नसीब वालों को हे गणराजा,

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