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ज्ञानगंगा

नवरात्रि में मां के भोग
नवरात्रि में मां के भोग
नवरात्रि के नौ दिनों में मां को रोज लगाएं अलग-अलग तरह के भोग, प्रसन्न हो जाएंगी माता जगतजननी
माता की अष्ट सिद्धियां
माता की अष्ट सिद्धियां
यह होती हैं नौ दुर्गा मां की अष्ट सिद्धियां, भगवान शिव ने भी मैय्या से प्राप्त की थीं दिव्य शक्तियां
मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र
मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र
मां ने अपने हाथों में क्यों धारण किए हैं अस्त्र-शस्त्र, जानिए मां के प्रत्येक अस्त्र और शस्त्र की कहानी
चैत्र से फाल्गुन तक: भारतीय संस्कृति में 12 महीनों के आहार नियम
चैत्र से फाल्गुन तक: भारतीय संस्कृति में 12 महीनों के आहार नियम
प्राचीन भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद में आहार का सीधा संबंध ऋतु और शरीर की ज़रूरतों से बताया गया है। भारतीय संस्कृति के अभ्यासी और भारतीय संस्कृति के जानकार पंडित डॉ. राजनाथ झा इस विषय पर बताते हैं कि हर महीने के अनुसार आहार का चयन करना न केवल शरीर के स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।
गया में सूर्यास्त के बाद भी यहां होता है पिंडदान और श्राद्ध
गया में सूर्यास्त के बाद भी यहां होता है पिंडदान और श्राद्ध
भारत की पवित्र नगरी गया दरअसल भगवान विष्णु की पावन भूमि के रूप में जानी जाती है। गया पूरे विश्व में पिंडदान और श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है।
देवी कात्यायनी
देवी कात्यायनी
नवरात्रि की छठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। यह मां पार्वती का दूसरा नाम है। इसके अलावा मां के इस स्वरूप को उमा, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी नामों से भी जाना जाता हैं।
स्कंदमाता
स्कंदमाता
नवरात्रि का पाँचवें दिन स्कंदमाता की उपासना की जाती है। मैय्या इस रूप में मोक्ष और सुख देने वाली है। साथ ही मां मनोकामनाएं भी पूर्ण करती है।
देवी कूष्मांडा
देवी कूष्मांडा
नवरात्रि मतलब हम सनातनियों के लिए मां की आराधना के पावन नौ दिन और विशेष तौर पर रात्रि। हर दिन मैय्या का एक नया रूप और उस रूप की आराधना।
पितरों की नाराजगी के 9 महत्वपूर्ण संकेत
पितरों की नाराजगी के 9 महत्वपूर्ण संकेत
यदि आपके घर में भी है अशांति तो नाराज हो सकते हैं आपके पितृ, जानिए पितरों की नाराजगी के 9 महत्वपूर्ण संकेत.
पितरों की प्रसन्नता के 5 संकेत
पितरों की प्रसन्नता के 5 संकेत
पितृपक्ष हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय माना जाता है, इस वर्ष इसकी शुरुआत बीते 17 सितंबर से हो गई है। ज्योतिर्वेद विज्ञान केंद्र पटना के ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा के अनुसार यह 15 दिनों का एक अति विशेष कालखंड होता है जब लोग अपने पूर्वजों को तर्पण और श्राद्ध अर्पित करते हैं, जिससे उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
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