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माता पार्वती का एक रूप और दस महाविद्याओं में से एक मां धूमावती हैं। माता के इस अवतार को लेकर कई कथाएं हैं जो बड़ी विचित्र हैं। इनमें सबसे ज्यादा प्रचलित और मान्यता प्राप्त यह है कि जब सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में कूद पड़ी और जल कर भस्म हो गई। उससे उत्पन्न धुएं से देवी धूमावती प्रकट हुईं। इसी कारण वे हमेशा उदास रहती हैं। धूमावती धुएं के रूप में सती का भौतिक स्वरूप भी कही गई हैं। भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक श्रृंखला में आज हम दस महाविद्याओं में से एक माता धूमावती के बारे में जानेंगे…
मां धूमावती की पूजा करने के लिए स्नान के बाद काले वस्त्र धारण करें।
पूजा कक्ष में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठे।
पूजा की चौकी रखें और उसे गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें।
चौकी पर वस्त्र बिछाकर मां धूमावती की मूर्ति, चित्र या यंत्र स्थापित करें।
इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
राख या भभूति से मां को तिलक लगाएं।
मां धूमावती को दो रंग के पुष्प अर्पित कर और भोग लगाएं।
भोग में उड़द की दाल की खिचड़ी अवश्य रखें।
इसके बाद मां धूमावती के मंत्र का 108 बार जाप करें।
पूजा संपन्न होने के पर भोग को प्रसाद स्वरूप वितरित करें।
इसमें से थोड़ा सा चितकबरी गाय को अवश्य खिलाएं।
मंत्र जाप करने के पश्चात मां धूमावती कवच का पाठ करें।
मां धूमावती की साधना ग्यारह दिनों तक की जाती है।
नियमित रूप से मंत्र जाप करने से अद्भुत लाभ होता है।
मां धूमावती की साधना हमेशा गोपनीय तरीके से करें।
ग्यारह दिनों बाद काली मिर्च, काले तिल, शुद्ध घी और हवन सामग्री के साथ हवन करें।
हवन के बाद धूमावती यंत्र को घर से पश्चिम दिशा की तरफ पड़ने वाले काली मंदिर में दान कर दें।
बची हुई पूजन सामग्री बहती हुई नदी में प्रवाहित कर दें या किसी पीपल के पेड़ के नीचे गड्डे में गाड़ दें।
मां धूमावती की साधना सभी शत्रुओं का अंत करती है।
सौभाग्य पाने के लिए मां धूमावती को फलों का रस चढ़ाएं।
विवाद टालने के लिए मां धूमावती पर नींबू अर्पित करें और उसे चौराहे पर फेंक दें।
नुकसान से बचने के लिए मां धूमावती पर मक्के के दाने चढ़ाकर उन्हें पक्षियों को खिलाएं।
मां धूमावती के सामने गुग्गल की धूप देने से व्यापार में व्यवधान खत्म होते हैं।
पढ़ाई में सफलता के लिए मां धूमावती को पीपल का पत्ता चढ़ाएं और इसी पत्ते को बाद में अपनी किताब में रख लें।
परिवार की प्रसन्नता के लिए मां धूमावती के सामने सात अगरबत्ती जला कर प्रार्थना करें।
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