Logo

मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोना क्यों आवश्यक है?

मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोना क्यों आवश्यक है?

मंदिर में जाने से पहले पैर क्यों धोना चाहिए, भक्त और देवता के संबंध को दर्शाता है 


मंदिर में प्रवेश के मुख्य नियमों में से एक है, प्रवेश से पहले पैरों को धोना। माना जाता है कि चाहे हम तन और मन से कितने ही शुद्ध क्यों न हों, मंदिर में प्रवेश से पूर्व हाथों के साथ-साथ पैरों को धोना अत्यंत आवश्यक होता है। शास्त्रों में लिखी इस बात का पालन हम सदियों से करते आ रहे हैं, और इसके कई गहरे कारण भी हैं। घर पर स्नान करने के बाद भी, हम अक्सर मंदिर में जाने से पहले एक बार फिर अपने पैरों को धोते हैं। 


इसका कारण यह हो सकता है कि घर से बाहर निकलते ही हम चप्पल या जूते पहन लेते हैं, और मंदिर में प्रवेश से पहले उन्हें उतारते हैं, जिसके चलते पैरों में जूतों की गंदगी रह जाती है। यह गंदगी मंदिर के पवित्र वातावरण को भी प्रभावित कर सकती है, इसलिए हमेशा पैरों को धोकर ही मंदिर में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 


पैर धोना पवित्रता को है दर्शाता


किसी भी मंदिर को पूजा का पवित्र स्थान माना जाता है। यहाँ लोग ईश्वर से आशीर्वाद पाने आते हैं। मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोना एक परंपरा है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि हम खुद को शुद्ध कर सकें और ईश्वर के करीब जा सकें। पहले के समय में लोग नंगे पैर ही चलते थे। इसलिए मंदिर में गंदगी न जाए, इसलिए पैर धोने का नियम बना।


भक्त और देवता के बीच एक पवित्र संबंध


मंदिर में प्रवेश करने से पहले पैर धोना, भक्त और देवता के बीच एक पवित्र संबंध है। ऐसा करने से भक्त को बाहरी दुनिया से अलग करके आध्यात्मिक अनुभव के लिए एक पवित्र माहौल तैयार करने में मदद करती है। पैर धोना भक्त के मन को शांत करता है और उसे आत्म-अनुशासन का रास्ता भी दिखाता है। 


मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोने का महत्व


लंबी यात्रा या गर्म मौसम में मंदिर पहुंचने पर पैर धोने से भक्त को शारीरिक शीतलता और शांति मिलती है। यह उसे पूजा में अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।  प्राचीन काल से ही पैरों को छूना सम्मान का प्रतीक रहा है। किसी बुजुर्ग या देवता के पैरों को छूकर हम उनका सम्मान व्यक्त करते हैं।  पैर धोने के साथ-साथ भक्त अपने मन को भी अशुद्धियों से मुक्त करने का प्रयास करता है। यह एक तरह से आत्मशुद्धि की प्रक्रिया है जो उसे देवता के करीब लाती है।


मंदिर में पैर धोकर जाने का वैज्ञानिक कारण


मंदिर में प्रवेश से पहले पैर धोने की परंपरा हमारे धर्म और विज्ञान दोनों से जुड़ी हुई है। धार्मिक दृष्टिकोण से, यह एक पवित्र कार्य है जो हमें ईश्वर के करीब लाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह एक स्वच्छता का उपाय है जो हमें और दूसरों को बीमारियों से बचाता है। इस प्रकार, यह परंपरा हमारे आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए लाभदायक है।


........................................................................................................
झण्डा ऊँचा रहे हमारा (Jhanda Uncha Rahe Hamara)

झण्डा ऊँचा रहे हमारा
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

प्रदोष व्रत के खास उपाय क्या हैं?

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जो शिव भक्तों के लिए विशेष रूप से फलदायी माना गया है।

गुरू प्रदोष व्रत पर शिव अभिषेक कैसे करें?

गुरु प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने का एक अत्यंत शुभ अवसर है।

जल जाये जिह्वा पापिनी, राम के बिना (Jal Jaaye Jihwa Papini, Ram Ke Bina)

राम बिना नर ऐसे जैसे,
अश्व लगाम बिना ।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang