Logo

रंगोली क्यों बनाई जाती है?

रंगोली क्यों बनाई जाती है?

हिंदू धर्म में रंगोली बनाने का महत्व क्या है? 


सनातन धर्म में रंगों को हमेशा से पवित्र माना गया है। रंगोली, न सिर्फ हमारे घरों को सजाती है बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी हमारे मन को शांत और खुशहाल बनाती है। हिंदू धर्म में रंगोली को सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और दीपावली पर तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। दशहरे से दीपावली तक चलने वाला यह सिलसिला सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक बेहतरीन उपचार भी है। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में रंगोली या फिर चौक जरूर मनई जाती है। इसे शुभता का प्रतीक माना जाता है। साथ ही सुख-समृद्धि का भी कारक माना जाता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं कि रंगोली बनाने की परंपरा कब से चली आ रही है और इसका महत्व क्या है? 


रंगोली बनाने की परंपरा कब से चली आ रही है? 


रंगोली बनाने की परंपरा रामायण काल से चली आ रही है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम जब माता सीता के साथ वनवास से लौटे थे, तब अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में रंगोली बनाई थी। इस आधार पर, रंगोली की परंपरा को रामायण काल से जोड़ा जाता है। रंगोली बनाने से आशय है कि घर में सुख और समृद्धि का आगमन है। अगर आप देवी-देवताओं को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रोजाना भी रंगोली बना सकते हैं। 

दक्षिण भारत में आज भी हर दिन महिलाएं चौक या रंगों से रंगोली बनाती हैं और भगवान विष्णु की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। 


पूजा-पाठ में क्यों बनाई जाती है रंगोली? 


रंगोली को देवी-देवताओं के लिए एक तरह का स्वागत द्वार माना जाता है। माना जाता है कि रंगोली देखकर देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि लाते हैं। रंगोली को शुभता और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस घर के मुख्य द्वार पर बनाने से घर की सुख-समृद्धि बनी रहती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इतना ही नहीं, कुछ रंगोलियों को मंत्रों और शुभ चिह्नों से ही बनाई जाती है। ताकि मंत्रों का जाप करने से देवी-देवताओं का घर में आगमन हो और घर में हमेशा बरकत होती रहे।  


वास्तु शास्त्र में रंगोली का महत्व


वास्तु शास्त्र में पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है। पूर्वमुखी घर के मुख्य द्वार पर अंडाकार रंगोली बनाने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह रंगोली डिजाइन परिवार के सदस्यों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है। 


रंगोली बनाने के दौरान करें नियमों का पालन


  • वास्तु शास्त्र में रंगोली बनाने के लिए सही दिशा और स्थान का ही चुनाव करें। 
  • देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार की रंगोली बनाने की परंपरा है। 
  • रंगोली बनाने से पहले शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। 
  • रंगोली ब्रह्म मुहूर्त या फिर शाम को सूर्योदय से पहले बनाना शुभ माना जाता है। 
  • रंगोली बनाने के लिए आप गेहूं के आटे और चावल के आटे का इस्तेमाल कर सकते हैं। 
  • रंगोली बनाने के बाद वहां दीपक जरूर जलाएं। इससे घर में मां लक्ष्मी का भी आगमन होता है। 
  • रंगोली कभी भी ज्यादा देर तक नहीं बनाकर रखना चाहिए। रोजाना नया रंगोली बनाएं। 
........................................................................................................
सावन में कब मनाई जाएगी कर्क संक्रांति

हिंदू पंचांग के अनुसार, कर्क संक्रांति उस दिन को कहते हैं जब सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं। यह घटना धार्मिक रूप से भी अत्यंत शुभ मानी जाती है और इसी के साथ दक्षिणायन की शुरुआत होती है।

कर्क संक्रांति का इन राशियों पर पड़ेगा गहरा असर

हर साल सूर्य देव जब मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं, तो यह घटना कर्क संक्रांति कहलाती है। यह संक्रांति केवल खगोलीय परिवर्तन नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।

श्रीशिवापराधक्षमापनस्तोत्रम्

आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः ।

वेदसारशिवस्तवः

पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang