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हर महीने की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, लेकिन मार्गशीर्ष मास की चतुर्थी तिथि को विशेष रूप से गणाधिप संकष्टी चतुर्थी के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा और व्रत किया जाता है, जिससे जीवन के संकट दूर होते हैं और गणपति बप्पा की कृपा बनी रहती है। गणाधिप संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है और सारे बिगड़े काम बनते हैं, विघ्नों का नाश होता है।
यह तिथि भगवान गणेश की पूजा करने और उनकी कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम मानी जाती है। ऐसे में मन में जरूर आता है कि गणाधिप संकष्टी चतुर्थी क्यों मनाई जाती है, और इसका क्या महत्व है। आइये इन सवालों के जवाब इस लेख के माध्यम से आपको बताते हैं।
1. भगवान गणेश की पूजा: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा का विशेष दिन है, जो ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि के देवता हैं।
2. संकटों का नाश: इस दिन की पूजा और व्रत से जीवन के संकटों का नाश होता है और व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
3. विघ्नों का निवारण: भगवान गणेश को विघ्नों का निवारणकर्ता माना जाता है, इसलिए उनकी पूजा से विघ्नों का नाश होता है।
4. समृद्धि और सुख: गणाधिप संकष्टी चतुर्थी की पूजा से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सुख का वास होता है।
5. पापों का नाश: इस दिन की पूजा से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और वह पवित्र और शुद्ध होता है।
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी पर श्रद्धालु भगवान गणेश की भक्ति-भाव से पूजा और व्रत करते हैं, जिससे जीवन की समस्त समस्याएं और संकट दूर होते हैं। इस दिन का महत्व इस प्रकार है:
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