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विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024: शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और लाभ

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024: जानिए सिंतबर में आने वाली विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत से होने वाले लाभ 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो हर वर्ष अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के बारे में और जानने से पहले हमें संकष्टी चतुर्थी को समझना होगा। संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणपति की आराधना कर के विशेष वरदान प्राप्त किया जा सकता है और सेहत की समस्या को भी हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करना हर तरीके से लाभप्रद होता है और ऐसा करने से भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है। हर महीने के कृष्ण पक्ष में जो संकष्टी चतुर्थी आती हैं, उन्हें भगवान गणेश के अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- 


1. लंबोदर संकष्टी चतुर्थी


2. द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी


3. भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी


4. विकट संकष्टी चतुर्थी


5. एकदंत संकष्टी चतुर्थी


6. कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी


7. गजानन संकष्टी चतुर्थी


8. हेरंब संकष्टी चतुर्थी


9. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी


10. वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी


11. गणाधिप संकष्टी चतुर्थी


12. अखुरथ संकष्टी चतुर्थी


“संकष्टी” शब्द ‘संकट’ और ‘हर’ दो शब्दों से मिलकर बना है, जो ‘संकटों से मुक्ति’ का अर्थ देता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मतलब सभी विघ्नों को हरने वाले। भक्तगण मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से विघ्नों का नाश होता है और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन पूरे दिन उपवास करके किया जाता है, जो सूर्योदय से शुरू होकर, चंद्र दर्शन के बाद और संध्या के पूजन के बाद समाप्त होता है। उपवास को गणेश जी की पूजन के बाद पूरा किया जाता है। इसके अलावा, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी को धन समृद्धि और आर्थिक कठिनाईयों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए भी मनाया जाता है। 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024 कब है?  


वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी शुक्रवार 20 सितंबर को रात 09 बजकर 15 मिनट से संकष्टी चतुर्थी शुरू होगी। वहीं ये तिथि 21 सितंबर को शाम 06 बजकर 13 मिनट तक जारी रहेगी होगा। इस तिथि पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त शाम 08 बजकर 29 मिनट पर है। 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2024 पर बन रहा शुभ संयोग


ज्योतिषियों की मानें तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर एक साथ कई शुभ योग बन रहे हैं। इनमें हर्षण योग सुबह 11 बजकर 36 मिनट से शुरू हो रहा है। शिववास योग शाम 06 बजकर 13 मिनट तक है। इस समय तक भगवान शिव कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी पर सवार होंगे। इस समय में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि 


1. सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

2.  इसके बाद पूजा घर की साफ-सफाई करें।

3. भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें और गाय के घी का दीपक जलाएं।

4. सिन्दूर का तिलक लगाएं।

5. पीले फूल, दूर्वा घास और बूंदी के लड्डू और मोदक भगवान गणेश को चढ़ाएं।

6. इसके बाद संकष्टी कथा का पाठ करें और आरती के साथ पूजा समाप्त करें।

7. व्रत रखें और भगवान गणेश को विशेष भोग लगाएं। 


शाम की पूजा


1. शाम को भगवान गणेश की पूजा और आरती करें।

2. भगवान गणेश को जल, फूल, अक्षत, चंदन और कुमकुम अर्पित करें।

3. धूप और दीप जलाएं।

4. भगवान गणेश की कथा सुनें और उनकी महिमा को समझें।

5. व्रत के अंत में प्रसाद वितरित करें।


पूजा के दौरान मंत्र


1. "ॐ गणेशाय नमः"

2. "ॐ गं गणपतये नमः"

3. "ॐ विघ्नराजाय नमः"

4. ''ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा''।।


पूजा के दौरान भोग


वैसे तो भगवान गणेश भक्तों के छोटे से भोग से भी प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन आप अपनी श्रद्धा के अनुसार इन चीजों का भी भोग लगा सकते हैं- 


1. मोदक

2. लड्डू

3. फल

4. मिठाई


संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा 


नारद पुराण के अनुसार इस संकष्टी चतुर्थी पर पूरे दिन उपवास रखना चाहिए। फिर शाम में संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा सुननी चाहिए। जो व्यक्ति इस चतुर्थी पर विधि विधान भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करता है उसके जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। 


विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत से होने वाले लाभ 


1. विघ्नों का नाश: भगवान गणेश विघ्नों के नाशक हैं, इसलिए इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश होता है।

2. सुख-समृद्धि: इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

3. रोगों का नाश: भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के जीवन में रोगों का नाश होता है।

4. करियर में सफलता: इस व्रत को करने से व्यक्ति को करियर में सफलता मिलती है।

5. शांति और स्थिरता: भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता आती है।

6. मानसिक शांति: इस व्रत को करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है।

7. परिवार में सुख-समृद्धि: भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

8. धन लाभ: इस व्रत को करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है।

9. जीवन में सकारात्मक परिवर्तन: भगवान गणेश की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।

10. मोक्ष प्राप्ति: इस व्रत को करने से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति होती है।


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