पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस बार अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 18 दिसंबर 2024 को है। भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक के सभी तरह के दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही घर में सुख और शांति का भी आगमन होता है। अखुरथ संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान गणेश स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। माना जाता है कि गणेश स्त्रोत का पाठ करने या सुनने से जीवन में मंगल होता है।
श्री गणेशाय नमः
नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम्।।
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्।।
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन्।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम्।।
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः।।
इति श्री नारदपुराणे संकटविनाशनं श्रीगणपतिस्तोत्रं संपूर्णम् ।
भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए गणेश स्तोत्र का पाठ किया जाता है। नारद पुराण की मानें तो जो भी पूरी श्रद्धा से प्रतिदिन गणेश स्तोत्र का पाठ करता है उसकी बौद्धिक क्षमता का विकास होता है और सौभाग्य की उसे प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए भी यह स्तोत्र आप प्रतिदिन पढ़ सकते हैं। जीवन में आ रही विघ्न-बाधाओं से मुक्ति पाना चाहते हैं तो गणेश स्तोत्र का पाठ आपको अवश्य करना चाहिए। विद्यार्थियों के लिए इस स्तोत्र का पाठ करना काफी लाभदायक सिद्ध हो सकता है। गणेश स्तोत्र का पाठ करने से विद्यार्थियों को शिक्षा क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है और साथ ही आपकी विवेक शक्ति का भी विकास होता है।
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।
श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥
मुझे राधे राधे कहना सिखा दे
कन्हैयाँ तेरा क्या बिगड़े,
मुझे रंग दे ओ रंगरेज,
चुनरिया सतरंगी,
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना ।
आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,
मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए ॥