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धनतेरस पर विभिन्न वस्तुओं की खरीदी का रिवाज है। इस शुभ दिन पर खरीदारी करने की परंपरा धनतेरस की पौराणिक मान्यता के साथ ही आरंभ हुई है। धनतेरस पर खरीदी जाने वाली वस्तुओं में सोना-चांदी, नए वाहन, प्रतिष्ठान, घर, ऑफिस और कपड़े आदि शामिल हैं। लेकिन इन सबके अलावा झाड़ू की खरीदारी धनतेरस पर सबसे शुभ मानी गई है। आइए जानते हैं कि तमाम कीमती सामान के बावजूद धनतेरस पर झाड़ू खरीदने का इतना महत्व क्यों है।
धनतेरस पर झाड़ू घर में लाना सबसे अधिक शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि झाड़ू को मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि झाड़ू सिर्फ घर की सफाई नहीं बल्कि वो घर से दरिद्रता और नकारात्मकता को भी निकालती है। वहीं स्वच्छ और साफ घर में मां लक्ष्मी निवास कर हमारे मन के गलत विचारों को दूर करती हैं। यही कारण है कि धनतेरस के दिन पीतल, तांबे के बर्तन और धातुओं की चीजें खरीदने के साथ झाड़ू खरीदने की परंपरा अनिवार्य और बेहद शुभ माना जाता है।
धनतेरस पर प्लास्टिक की झाड़ू गलती से भी नहीं खरीदनी चाहिए। प्लास्टिक एक अशुद्ध धातु है। ऐसे में धनतेरस की खरीदारी में प्लास्टिक के आइटम और विशेष रूप से प्लास्टिक झाड़ू खरीदने से परहेज करें।
झाड़ू हमेशा जोड़े में यानी 2, 4, 6 की संख्या में खरीदें। यानी झाड़ू हमेशा सम संख्या में खरीदें।
धनतेरस पर ही नहीं साल के अन्य दिनों में भी झाड़ू को सूर्यास्त से पहले घर लाना चाहिए। सूर्यास्त के बाद झाड़ू खरीदना अशुभ माना जाता है। झाड़ू रात में तो कभी लाना ही नहीं चाहिए।
झाड़ू को हमेशा साफ हाथ से स्पर्श करें और स्वच्छ स्थान पर रखें। झाड़ू लक्ष्मी का रूप मानी गई है। ऐसे में झाड़ू को किचन या बेडरूम में नहीं रखना चाहिए। साथ ही झाड़ू को पलंग के नीचे या अलमारी के पास या खड़ी अवस्था में दीवार के सहारे नहीं रखना चाहिए।
झाड़ू को पूजा करने से पहले इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही पहले घर की पुरानी झाड़ू की पूजा भी करनी चाहिए। यह लक्ष्मी जी के प्रति सम्मान प्रकट करने का तरीका है।
पूजन के दौरान कलावा बांधते समय हो सके तो झाड़ू पर सफेद धागा बांधें। हालांकि पूजन का भगवा या लाल कलेवा भी शुभ है।
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