Sakat Chauth 2025: क्यों मनाया जाता है सकट चौथ का पर्व? जानिए इसकी वजह
सकट चौथ व्रत करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के दुखों को हर लेते हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना बेहद आवश्यक माना गया है। क्योंकि, इससे संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। यह त्यौहार माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि सकट चौथ का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे की क्या वजह है।
क्यों मनाते हैं सकट चौथ का पर्व?
सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, संकटों का नाश करने वाला पर्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन के सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। यह पर्व ना सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है। बल्कि, यह माताओं के अपने बच्चों के प्रति प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है।
सकट चौथ व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत किया जाता है। इस साल यह पर्व 17 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना जाता है।
जरूर लगाएं ये दो भोग
सकट चौथ की पूजा के दौरान भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो इस प्रकार हैं।
- तिलकुट का भोग:- गणेश जी को तिलकुट अति प्रिय है।
- मोदक का भोग:- मोदक का भोग लगाने से भगवान गणेश की विशेष कृपा मिलती है। इन भोगों को अर्पित करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
सकट चौथ की पौराणिक कथा
सकट चौथ की कथा के अनुसार, एक समय एक वृद्ध महिला ने अपनी संतान की भलाई के लिए सकट चौथ का व्रत रखा। उसकी सच्ची भक्ति और भगवान गणेश की कृपा से उसकी संतान दीर्घायु और सुखी हुई। इस कथा से प्रेरित होकर माताएं अपनी संतानों के लिए यह व्रत करती हैं। बता दें कि सकट चौथ का व्रत धार्मिक आस्था और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। सच्चे मन से इस व्रत को करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में खुशहाली आती है।
इन बातों का रखें ध्यान
- रंगों का चयन: सकट चौथ व्रत के दिन काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इसके स्थान पर लाल, पीले या हरे रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये भगवान गणेश के प्रिय रंग हैं।
- केतकी के फूल ना चढ़ाएं: पूजा के दौरान गणेश जी को केतकी के फूल अर्पित करना अशुभ माना जाता है।
- शुद्धता का रखें ख्याल: पूजा के दौरान पूजा स्थल और पूजा सामग्री की पवित्रता को आवश्यक रूप से बनाए रखें।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत सभी पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का अत्यंत महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए एक विशेष दिन माना जाता है, जो हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास का शुक्र प्रदोष व्रत 2025 में एक अत्यंत शुभ योग लेकर आ रहा है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता हैI
हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। मोहिनी एकादशी को विशेष रूप से भगवान विष्णु की प्रिय एकादशी माना जाता है। यह एकादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की होती है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विधि विधान से पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।