सकट चौथ व्रत करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के दुखों को हर लेते हैं। इस दिन माताएं अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना बेहद आवश्यक माना गया है। क्योंकि, इससे संतान को लंबी आयु का वरदान मिलता है। यह त्यौहार माघ महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार से जानते हैं कि सकट चौथ का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे की क्या वजह है।
सकट चौथ, जिसे संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है, संकटों का नाश करने वाला पर्व है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन के सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। यह पर्व ना सिर्फ धार्मिक महत्व रखता है। बल्कि, यह माताओं के अपने बच्चों के प्रति प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ का व्रत किया जाता है। इस साल यह पर्व 17 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना जाता है।
सकट चौथ की पूजा के दौरान भगवान गणेश को प्रिय भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो इस प्रकार हैं।
सकट चौथ की कथा के अनुसार, एक समय एक वृद्ध महिला ने अपनी संतान की भलाई के लिए सकट चौथ का व्रत रखा। उसकी सच्ची भक्ति और भगवान गणेश की कृपा से उसकी संतान दीर्घायु और सुखी हुई। इस कथा से प्रेरित होकर माताएं अपनी संतानों के लिए यह व्रत करती हैं। बता दें कि सकट चौथ का व्रत धार्मिक आस्था और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। सच्चे मन से इस व्रत को करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में खुशहाली आती है।