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कब है सकट चौथ

कब है सकट चौथ

Sakat Chauth Vrat 2025: 17 या 18 जनवरी कब है सकट चौथ? जानिए सही डेट, शुभ मुहूर्त और नियम



हिन्दू धर्म में सकट चौथ का  एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान माना गया है। यह मुख्य रूप से सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए करती हैं। इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा की होती है। यह व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत करने और संतान सुख की प्राप्ति के लिए भी विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। तो आइए, इस आर्टिकल में सकट चौथ की सही डेट, शुभ मुहूर्त और नियम के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


सकट चौथ व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त 

 
पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 17 जनवरी दिन शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी और 18 जनवरी दिन शनिवार को सुबह 05 बजकर 46 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 17 जनवरी दिन शुक्रवार को ही सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन शाम के समय 7 बजकर 32 मिनट पर चंद्रोदय होगा। बता दें कि चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा।

जानिए सकट चौथ व्रत की पूजा विधि


  • स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा के साथ करने का संकल्प लें।
  • पूजा की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। अब भगवान गणेश को पीला वस्त्र पहनाएं।
  • पूजन सामग्री और विधि: भगवान गणेश को दूर्वा अर्पण करें और तिल से बनी चीजों (जैसे तिल लड्डू) का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर गणेशजी की आरती करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य: रात्रि में चंद्रमा के उदय के समय जल में तिल मिलाकर अर्घ्य दें। चंद्रमा को अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें और व्रत का पारण करें।

सकट चौथ व्रत के नियम


  • निर्जला व्रत: इस व्रत में पूरे दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता है। यह व्रत पूरी श्रद्धा और संयम के साथ रखा जाता है।
  • सात्विक भोजन: व्रत तोड़ने से पहले तक केवल सात्विक भोजन का ही सेवन करना चाहिए।
  • शांत वातावरण में करें पूजन: पूजा के दौरान शांत और पवित्र वातावरण में बैठकर पूजा करनी चाहिए।
  • द्वेष से रहित हो मन: व्रत के दौरान मन में किसी भी प्रकार की ईर्ष्या या द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए।
  • चंद्रमा को दें अर्घ्य: चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन करना चाहिए।

सकट चौथ व्रत का महत्व


सकट चौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान गणेश और माता पार्वती की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। वहीं, जो महिलाएं संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत फलदायी होता है। बता दें कि इस व्रत से परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है। इसके साथ ही भगवान गणेश की कृपा से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और संकट दूर हो जाते हैं।

सकट चौथ व्रत से जुड़ी मान्यताएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार, सकट चौथ के दिन भगवान गणेश ने अपने भक्तों के संकटों का निवारण किया था। इसलिए इस दिन उन्हें संकटमोचन के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि जो महिलाएं इस व्रत को श्रद्धा से करती हैं, उनके जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती और उनके परिवार को सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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इस अखाड़े के पास है हजार करोड़ की संपत्ति?

हिंदू धर्म के 13 अखाड़ों में निरंजनी अखाड़ा प्रमुखता से जाना जाता है । शैव संप्रदाय का यह अखाड़ा साधु संतों की संख्या में दूसरे नंबर पर आता है। इसकी खास बात है कि यहां के 70 फीसदी से ज्यादा संत डिग्रीधारक होते है। कोई डॉक्टर होता है, तो कोई इंजीनियर, तो कोई प्रोफेसर।

ये है हिंदू धर्म का सबसे पहला अखाड़ा?

कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा सांस्कृतिक समागम है। इस समागम की शोभा अखाड़े बढ़ाते है, जो साधु संतों के संगठन होते है। इन्ही में से एक है श्री पंचायती अटल अखाड़ा। शैव संप्रदाय के इस अखाड़े की जड़ें हजारों वर्षों पुरानी हैं। इसे हिंदू धर्म का पहला अखाड़ा भी कहा जाता है।

जानें अखाड़ों के बारे में सबकुछ ?

कुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम है। इसमें लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण साधु संतों के अखाड़े होते है। जिनकी दिव्यता को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

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प्रयागराज में कुंभ मेले की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। अखाड़ों का आना भी शुरू हो गया है। महर्षि आदि शंकराचार्य ने 8वीं शताब्दी में इनकी स्थापना की थी। यह कुंभ मेले की शान होते है।

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