धनतेरस का आधुनिक महत्व

Dhanteras 2024: धनतेरस का स्वास्थ्य और धन से है गहरा संबंध, परंपराओं के साथ जानिए आधुनिक महत्व भी


धन-धान्य और उन्नति के प्रमुख त्योहार दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इस त्योहार को पहले दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। यह हमें जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य के महत्व का संदेश भी देता है। पुरानी परंपराओं और आधुनिक जीवनशैली के बीच संतुलन बिठाने वाला यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व में कई तरह के संदेश भी निहित हैं। जिनमें आर्थिक विकास के साथ आध्यात्मिक जागृति और मानसिक उन्नति भी शामिल है। तो आइए इस आलेख में इस पर्व के महत्व को विस्तार से समझते हैं।  


स्वास्थ्य और धन का संबंध


धनतेरस के पीछे यह मान्यता है कि स्वस्थ शरीर ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। यदि व्यक्ति के पास उत्तम सेहत ना हो तो संपत्ति या भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद नहीं लिया जा सकता। यही कारण है कि इस पर्व को आर्थिक संपन्नता के प्रतीक के साथ चिकित्सा विज्ञान के देवता भगवान धन्वंतरि के भी पूजन-दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्राचीन मान्यताओं में धन और वैभव की प्राप्ति के साथ स्वास्थ्य को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।


पौराणिक कथाओं से जुड़े धनतेरस का महत्व


धनतेरस पर्व का महत्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है जो इस प्रकार है। 


  1. समुद्र मंथन और देवी लक्ष्मी का प्रकट होना:- पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान देवी लक्ष्मी का उद्भव इसी दिन हुआ था। माता लक्ष्मी एक स्वर्ण-पात्र लेकर प्रकट हुईं। इस दिन धन के देवता कुबेर भी प्रकट हुए जो भौतिक संपत्ति के संरक्षक हैं। इसलिए, धनतेरस पर लोग सोना-चांदी और बर्तन खरीदते हैं। जिससे घर में धन-वैभव और समृद्धि बनी रहे। 
  2. भगवान धन्वंतरि और अमृत कलश:- धनतेरस का संबंध भगवान धन्वंतरि से भी है। जो समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वह आयुर्वेद और चिकित्सा के जनक भी माने जाते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि धन के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य भी हमारे जीवन का अनिवार्य अंग है।
  3. राजकुमार और यमराज की कथा:- एक और पौराणिक कथा के अनुसार एक राजकुमार की मृत्यु उसकी शादी की चौथी रात को सांप के काटने से निश्चित थी। उसकी पत्नी ने राजकुमार को बचाने के लिए कमरे को सोने-चांदी के सिक्कों से भर दिया और पूरी रात गाने व कहानियां सुनाकर उसे जगाए रखा। जब यमराज सांप के रूप में आए तो वह सोने से मोहित हो गए और राजकुमार की जान बच गई।


धनतेरस पर की जाने वाली पारंपरिक खरीदारी


धनतेरस के दिन विशेष वस्तुओं की खरीद को बेहद ही शुभ माना जाता है, जिनमें ये वस्तुएं प्रमुख रूप से शामिल किए जाते हैं। 

 

  • सोना और चांदी: स्वर्ण और चांदी की धातुओं की खरीद को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • बर्तन: नए बर्तन खरीदना स्वास्थ्य और स्वच्छता का प्रतीक है।
  • वाहन और प्रॉपर्टी: मान्यता है कि इस दिन गाड़ी या संपत्ति खरीदना जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य लेकर आता है। 
  • इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं: आधुनिक समय में लोग भारी तादाद में धनतेरस के दिन नए गैजेट्स और घरेलू उपकरण खरीदते हैं।


धनतेरस 2024 का महत्व और तिथि


इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।

बता दें कि धनतेरस पर घरों की साफ-सफाई और सजावट का विशेष महत्व है। माना जाता है कि स्वच्छ वातावरण सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। पूजा स्थल को रंगोली, फूलों और दीपों से सजाया जाता है।


धनतेरस का आधुनिक महत्व 


आज के समय में धनतेरस केवल धार्मिक परंपरा तक ही सीमित नहीं है। यह पर्व स्वास्थ्य, धन एवं समृद्धि के साथ जागरूकता और सकारात्मकता को भी बढ़ावा देता है। धनतेरस के पीछे छिपा एक संदेश यह भी है कि सेहत ही सबसे बड़ा धन है। वहीं, धनतेरस के मौके पर लोग सोने, चांदी और अन्य संपत्तियों में निवेश भी करते हैं। साथ ही  लोग नए आभूषण, बर्तन और वाहन भी खरीदते हैं। 


क्षेत्रीय मान्यताएं और उत्सव


धनतेरस पर्व के अवसर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में सोना-चांदी खरीदना सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन घरों और मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। वहीं, महाराष्ट्र और गुजरात में बर्तन खरीदने की परंपरा अधिक प्रचलित है। जबकि, दक्षिण भारत में लोग इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।

यह भी जाने