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अप्रैल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है

अप्रैल 2025 में कृष्ण जन्माष्टमी कब है

Masik Krishna Janmashtami 2025: अप्रैल माह में भी मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी, जानिए इसके कारण और महत्त्व  


हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म उत्सव ‘कृष्ण जन्माष्टमी’ बड़े श्रद्धा और पवित्र भाव के साथ मनाया जाता है। वैसे तो श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी भाद्रपद मास में मनाई जाती है, लेकिन हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में भी यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण की आराधना के लिए विशेष माना जाता है और इसे उनकी पूजा-पाठ के साथ मनाया जाता है। 

20 अप्रैल को मनाई जाएगी कृष्ण अष्टमी 

इस साल अप्रैल महीने में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 20 अप्रैल, रविवार को पड़ रही है। इस तिथि को भगवान कृष्ण के मासिक जन्मोत्सव के रूप में जानी जाता है, जो 20 अप्रैल की रात 11:34 बजे शुरू होगी और 21 अप्रैल की रात 12:19 बजे समाप्त होगी। यह शुभ मुहूर्त रात्रि पूजा व भगवान श्रीकृष्ण के अभिषेक के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है।

भगवान कृष्ण के 108 नामों का जाप करने से आती है सुख समृद्धि

मासिक कृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की मासिक स्मरण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, विशेष पूजा करते हैं और श्रीकृष्ण के बालरूप ‘लड्डू गोपाल’ की आराधना भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार,  इस दिन व्रत रखने और श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, जो व्यक्ति इस दिन श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करता है और भक्ति भाव से व्रत रखता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।

लड्डू गोपाल का करें पंचामृत से अभिषेक

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। साथ ही, भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • घर में लड्डू गोपाल की मूर्ति को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं। फिर भगवान को नए वस्त्र, फूल और चंदन से सजाएं।
  • भगवान श्रीकृष्ण को माखन, मिश्री, तुलसी पत्र, फल आदि का भोग लगाएं।
  • दीपक और धूप जलाकर पूजा करें और श्रीकृष्ण के 108 नामों का जाप करें फिर आरती करें।


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9 अप्रैल 2025 का पंचांग

चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है। इस बार चैत्र छठ एक अप्रैल से शुरू होगी, जो तीन अप्रैल को संध्या अर्घ्य और चार अप्रैल को उषा अर्घ्य के साथ गुरुवार को समाप्त होगी।

चैत्र नवरात्रि छठे दिन की पूजा विधि

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की शादी होने में कोई बाधा आती है या वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो तो देवी कात्यायनी की पूजा से उसे सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।

चैत्र नवरात्रि: मां स्कंदमाता की कथा

नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति की शादी होने में कोई बाधा आती है या वैवाहिक जीवन में कोई समस्या हो तो देवी कात्यायनी की पूजा से उसे सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है।

चैत्र नवरात्रि: मां कात्यायनी की कथा

मां दुर्गा का छठा स्वरूप देवी कात्यायनी का है, जिन्हें हम चैत्र नवरात्रि के छठे दिन पूजते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के अनुसार, देवी कात्यायनी की पूजा से भक्तों को शक्ति, आत्मविश्वास और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती हैं।

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