अखंड ज्योत का महत्व, पूजा विधि

नौ रातों में क्यों जलाई जाती है अखंड ज्योत, जानिए सही पूजा विधि के साथ ज्योत के प्रकार भी..


हिन्दू धर्म का प्रमुख त्यौहार नवरात्रि देवी आराधना हेतु घटस्थापना से शुरू होता है। मैय्या के सभी भक्त धार्मिक मान्यताओं, तथ्यों और सत्य के आधार पर मां की पूजा करते हैं और पुण्य फल की प्राप्ति की तरफ अपने कदम बढ़ाते हैं। भक्त वत्सल के नवरात्रि विशेषांक में हम आपको अब तक नवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथाओं और शास्त्रानुसार जानकारियां दे चुके हैं। इसी क्रम में हम आपको मैय्या की अखंड ज्योत के विषय में बताने जा रहे हैं। दीप प्रकाश का स्त्रोत है और प्रकाश ज्ञान का। ईश्वर से संपूर्ण ज्ञान के प्रकाश की प्रार्थना के लिए हिंदू संस्कृति में दीप प्रज्वलन करने का विधान है। दीप की ज्योति हमेशा ऊपर की ओर उठी रहती है जो हमें उन्नति का संदेश देती है। 

इन्हीं परंपराओं और मान्यताओं के साथ विशेष इच्छाओं की पूर्ति और मैय्या की आराधना के लिए अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। तो चलिए जानते हैं अखंड ज्योत से जुड़ी मान्यताएं, इसकी पूजा विधि, ज्योत के नियमों को विस्तार से….


क्या है अखंड ज्योति और उसका महत्व? 


नवरात्रि के नौ दिनों तक मैय्या के सामने पहले दिन से नौवें दिन तक सतत प्रज्वलित ज्योत को अखंड ज्योत कहा जाता है। नियम और पवित्रता का ध्यान रखते हुए जलाई गई अखंड ज्योत से माता रानी की कृपा परिवार पर बरसती है। लेकिन इसका बीच में बुझना अशुभ और अनिष्टकारी माना गया है। इसलिए नौ दिनों तक अखंड ज्योति का विशेष ध्यान रखा जाता है। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक अखंड ज्योत जलाने का विधान है। यह मां दुर्गा की दया दृष्टि और सुख-समृद्धि की देने वाली हैं।


अखंड ज्योति जलाने की विधि


नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति को जलाने के कुछ नियम हैं। मनवांछित फल की प्राप्ति के लिए इन नियमों का पालन बेहद जरूरी है। 

 

  • ज्योत पीतल के दीपपात्र में प्रज्वल्लित करना चाहिए। पीतल का पात्र न हो तो मिट्टी का दीपक उपयोग करें।
  • मिट्टी के दीपक को एक दिन पहले पानी में भिगो दें।
  •  अखंड दीपक को कभी भी जमीन पर न रखें। दीपक को चौकी या पटे पर रखकर ही जलाएं। 
  • यदि जमीन पर दीपक रख रहे हैं तो अष्टदल बनाकर रखें। अष्टदल गुलाल या रंगे हुए चावलों से बना सकते हैं।  
  • अखंड ज्योत की बाती रक्षासूत्र यानि कलावा से बनाएं।
  •  सवा हाथ का रक्षासूत्र जिसे हम पूजा में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे सूत के नाम से भी जानते हैं उसे लेकर बाती बनाएं।
  • अखंड ज्योति जलाने के लिए शुद्ध घी का इस्तेमाल करें। घी न हो तो तिल या सरसों के तेल का भी दीपक जला सकते हैं। 
  • घी का उपयोग करने पर अखंड ज्योति को देवी मां के दाईं ओर रखें । यदि दीपक तेल का है तो उसे बाईं ओर रखें।
  • ईशान कोण यानि उत्तर पूर्व दिशा में देवी-देवताओं का स्थान होता है। इसलिए अखंड ज्योति पूर्व- दक्षिण कोण यानि आग्नेय कोण में रखना शुभ माना गया है। पूजा के समय ज्योति का मुख पूर्व या फिर उत्तर दिशा में होना चाहिए। 
  • अखंड ज्योत जलाने से पहले हाथ जोड़कर श्रीगणेश, देवी दुर्गा और शिवजी का ध्यान और आह्वान करें। 



अखंड ज्योत जलाते वक्त यह मंत्र पढ़ें 


ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते।।  

 

या यह मंत्र बोलें 


दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति जनार्दन:
दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते।
दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।
 
शुभं करोतु कल्याणामारोग्यं सुख संपदा
दुष्ट बुद्धि विनाशाय च दीपज्योति: नमोस्तुते।। 
 
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तुते।।



ध्यान रखें 


  • अखंड ज्योति के दीपक को जमीन पर न रखें। इसे जौ, चावल या गेहूं की ढेरी पर रखना चाहिए। 
  • घी से प्रज्वलित अखंड ज्योति को दाईं ओर, तेल से प्रज्वलित अखंड ज्योति को बाईं ओर रखना शुभकारी है।
  • ज्योत को घर में अकेला नहीं छोड़ना चाहिए यह अशुभ माना जाता हैं। 
  • अगर घर में अखंड ज्योत जल रही तो घर में ताला न लगाएं।
  • अखंड ज्योत जलाने के लिए इस्तेमाल दीपक टूटे या खंडित नहीं होना चाहिए।
  • नौ दिन पूरे होने के बाद ज्‍योति को हाथ से ना बुझाएं, जब तक दीप स्वयं प्रकाशमय है उसे रहने दें और फिर स्वाभाविक रूप से उसे शांत होने दें।
  • ज्योत में समय-समय पर तेल या घी डालते रहें। 
  • ज्योत को हवा से बचाने के लिए आप उसके ऊपर कांच के गोले का उपयोग कर सकते हैं। दीपक की बाती बार बार नहीं बदलनी चाहिए। 


दीपक की स्थापना और दिशा का रखें विशेष ध्यान, यह होते हैं शुभ और अशुभ संकेत 


  • दीपक की लौ उत्तर दिशा की ओर रखने से धनलाभ होता है। 
  • अखंड ज्योति की गर्मी दीपक से 4 अंगुल चारों तक ओर अनुभव होती है जो भाग्योदय का सूचक है। 
  • दीपक की सुनहरी लौ जीवन में धन-धान्य और व्यापार में प्रगति का सूचक है।
  • मिट्टी के दीपक में अखंड ज्योति जलाने से आर्थिक समृद्धि आती है और यश में बढ़ोत्तरी होती है।
  • नवरात्रि में दीपक जलाए रखने से घर-परिवार में सुख एवं पितृ शांति रहती है। 
  • नवरात्रि में घी का दीपक विद्यार्थियों को सफलता दिलाता है।
  • वास्तु दोष दूर करने के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। तिल के तेल से ज्योत जलाने से शनि के कुप्रभाव से मुक्ति मिलती है।


अशुभता के संकेत 


  • दीपक की लौ पश्चिम दिशा की ओर रखने से दु:ख बढ़ता है। 
  • दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर रखने से हानि होती है। 
  • अगर अखंड ज्योति बीच में बुझ जाए तो यह आर्थिक तंगी और अन्य दुःखों के आगमन का सूचक है।
  • वही दीपक से दीपक जलाना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से रोग बढ़ते हैं और मागंलिक कार्यों में व्यवधान उत्पन्न होते है। 
  • अखंड ज्योति का बार-बार बुझना अशुभता का संकेत है। 


अगर ज्योत बीच में खंडित हो जाए तो घबराएं नहीं


  • अखंड ज्योति के साथ एक छोटा दीपक रखना चाहिए, ज्योत में तेल भरते समय या बाती ठीक करते समय उसे प्रज्वलित करना चाहिए जिससे ज्योत को वैकल्पिक स्वरूप मिल जाता है। अगर अखंड ज्योति किसी कारण से बुझ जाती है तो इसी दीप से आप अखंड ज्योति को पुनः जला सकते हैं।
  • इसके अलावा अगर दीप अपनी गलती से बुझा है तो इसके लिए प्रायच्छित करने की विधि बताई गईं हैं, वहीं अगर दीप स्वत: और प्राकृतिक रूप से शांत हो जाता हैै तो ऐसे में घबराने की जरूरत नहीं होती आप से क्षमा प्रार्थना कर दीप को फिर से प्रज्वलित कर सकते हैं


नोट - नवरात्रि विशेष सीरीज में ज्योत ठंडी होने पर प्रायच्छित करने की विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।



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डिसक्लेमर

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