Logo

अन्वाधान पौराणिक कथा

अन्वाधान पौराणिक कथा

क्या है वैष्णव संप्रदाय का पर्व अन्वाधन? जानें पौराणिक कथा और महत्व


हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हर त्योहार अपनी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के कारण अद्वितीय स्थान रखता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है 'अन्वाधान’, जिसे वैष्णव सम्प्रदाय विशेष रूप से मनाता है। बता दें कि वैष्णव सम्प्रदाय विष्णु भगवान के उपासक होते हैं। इसलिए, इस दिन उनके भक्तगण विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। अन्वाधान का पर्व हर माह दो बार आता है। पहली बार शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को और दूसरी बार कृष्ण पक्ष की अमावस्या को। इन दोनों तिथियों का वैष्णव सम्प्रदाय में विशेष महत्व होता है। 

क्या है अन्वाधान?


संस्कृत भाषा में 'अन्वाधान' का शाब्दिक अर्थ है "अग्निहोत्र के बाद अग्नि को प्रज्वलित बनाए रखने के लिए ईंधन जोड़ने की प्रक्रिया।" वैदिक परंपराओं में अग्नि का विशेष महत्व है। अग्नि ना सिर्फ  पवित्रता का प्रतीक है। बल्कि, यह देवताओं तक हमारी प्रार्थनाएं और अर्पण पहुंचाने का माध्यम भी मानी जाती है। जब पूर्णिमा का दिन होता है, तब इसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं। अग्निहोत्र करते हैं एवं भगवान विष्णु से सुख-शांति की प्रार्थना करते हैं।

अग्नि मंद पड़ने को माना जाता है अशुभ संकेत


अग्निहोत्र के बाद यदि अग्नि मंद पड़ जाए, तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है। इसी कारण अन्वाधान के दौरान यह सुनिश्चित किया जाता है कि अग्नि प्रज्वलित बनी रहे। इस प्रक्रिया के पीछे यह मान्यता है कि अग्नि के माध्यम से हमारी प्रार्थनाएं सीधा भगवान तक पहुंचती हैं।

उपवास और पूजा-अर्चना


अन्वाधान के दिन वैष्णव सम्प्रदाय के लोग व्रत रखते हैं। इस उपवास का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक शुद्धि है। उपवास के दौरान भक्त भक्ति गीत गाते हैं, मंत्रोच्चारण करते हैं, और विष्णु भगवान की विशेष पूजा करते हैं। इसके साथ ही, वे अग्निहोत्र में भाग लेते हैं और अग्नि प्रज्वलन की प्रक्रिया का पालन करते हैं।

अन्वाधान और इशिता में अंतर


बहुत से लोग अन्वाधान और इशिता को एक ही पर्व समझने की भूल करते हैं। हालांकि, ये दोनों अलग-अलग त्योहार हैं।
अन्वाधान:- यह अग्निहोत्र से जुड़ा पर्व है, जिसमें अग्नि को प्रज्वलित रखने का विशेष महत्व है।
इशिता:- यह भी वैदिक परंपराओं से जुड़ा है, लेकिन इसका उद्देश्य और प्रक्रिया अन्वाधान से अलग है।

पौराणिक कथा और महत्व


अन्वाधान के साथ कई धार्मिक और पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। एक कथा के अनुसार, जब देवताओं ने समुद्र मंथन किया, तो उन्होंने अग्नि को अपने यज्ञों और पूजा-पाठ के लिए सहेजकर रखने का संकल्प लिया। तभी से अग्नि को पवित्र और अमूल्य माना गया। अन्वाधान इसी परंपरा का एक हिस्सा है। जिसमें अग्नि को सुरक्षित रखने और उसकी महत्ता को बनाए रखने का प्रयास किया जाता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व


अन्वाधान धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं। साथ में भजन-कीर्तन करते हैं और धर्म के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। यह पर्व समाज में एकजुटता और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है। इस कारण अन्वाधान केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है। बल्कि, यह वैदिक परंपराओं और अग्निहोत्र के महत्व को समझने और आत्मसात करने का एक माध्यम है। वैष्णव सम्प्रदाय के भक्त इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं। इस पर्व के माध्यम से  अग्नि की महत्ता को बनाए रखा जाता है। 

........................................................................................................
माई सबके बाल गोपाल, सदा खुशहाल रहे (Mai Sabke Bal Gopal Sada Khushal Rahe)

माई सबके बाल गोपाल,
सदा खुशहाल रहे,

मैली चादर ओढ़ के कैसे - भजन (Maili Chadar Odh Ke Kaise)

मैली चादर ओढ़ के कैसे,
द्वार तुम्हारे आऊँ,

मैं आया हूं तेरे द्वारे, गणराज गजानन प्यारे - भजन (Main Aaya Hoon Tere Dware Ganaraj Gajanan Pyare)

मैं आया हूँ तेरे द्वारे,
गणराज गजानन प्यारे ॥

मैं बेटा हूँ महाकाल का - भजन (Main Beta Hun Mahakal Ka)

दीवाना हूँ महाकाल का, उज्जैन के सरकार का,

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang