सनातन धर्म के परंपरा में अन्वाधान और इष्टि जैसे पर्व का विशेष महत्व है। ये दोनों वैष्णव संप्रदाय से जुड़े श्रद्धालुओं के अनुष्ठान हैं जो विशेष रूप से अमावस्या, पूर्णिमा और शुभ मुहूर्तों पर किए जाते हैं। इस साल अप्रैल महीना में अन्वाधान व्रत 27 अप्रैल को और इष्टि व्रत 28 अप्रैल को मनाया जाएगा।
अन्वाधान व्रत वैशाख मास की अमावस्या के अवसर पर रखा जाता है। संस्कृत में ‘अन्वाधान’ का अर्थ होता है हवन के बाद अग्नि को जलाएं रखने के लिए ईंधन जोड़ना। इसका प्रमुख कार्य हवन की अग्नि को प्रज्वलित रखना होता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अग्नि का बुझ जाना अशुभ संकेत माना होता है।
इस दिन वैष्णव संप्रदाय के श्रद्धालु उपवास करते हैं और विधिवत रूप से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। साथ ही, अन्वाधान पर्व के दौरान अग्नि को जलाए रखने के लिए उसमें समिधा, घी और हवन सामग्री नियमित रूप से अर्पित की जाती है। यह कार्य न केवल पवित्रता और धर्म का प्रतीक है, बल्कि यह मानसिक एकाग्रता और अनुशासन भी सिखाता है।
इष्टि का शाब्दिक अर्थ ‘भेंट’ है। यह अनुष्ठान किसी विशेष मनोकामना या कार्य की पूर्ति के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस पर्व को संतान की प्राप्ति, धन की वृद्धि, सफलता और परिवार की समृद्धि के लिए करना फलदायक माना जाता है और इस वर्ष इष्टि व्रत 28 अप्रैल को मनाया जाएगा।
शंख सनातन धर्म में सभी धार्मिक और वैदिक कार्यों की पूजन सामग्री का अभिन्न हिस्सा। हमारे पूजा पाठ में शंख का विशेष स्थान है। मान्यता है कि शंख सुख-समृद्धि और सौभाग्यदायी हैं इसलिए भारतीय संस्कृति में मांगलिक चिह्न के रूप में सर्वमान्य भी है।
सपनों की दुनिया बहुत विचित्र है। हमारे धार्मिक ग्रंथों से लेकर आज के विज्ञान तक में सपनों को समझने और उनके बारे में जानकारी देने की कोशिश की गई है। लेकिन सपनों का रहस्य आज भी एक रहस्य ही बना हुआ है।
संगम नगरी “प्रयागराज” जहां गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती का मिलन होता है। इस पावन और ऐतिहासिक स्थल पर 12 साल के लंबे इंतजार के बाद महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन होने जा रहा है।
Iमहाकुंभ मेला हिंदू धर्म के सबसे बड़े पर्वों में से एक है। ये प्रत्येक 12 साल में आयोजित होता है। इसके बीच 6 साल के अंतराल पर अर्धकुंभ और हर 3 साल में कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है।