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पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है। भाई दूज को भाई फोंटा, भाई टीका, भाऊ बीज या यम द्वितीया भी कहा जाता है। भाई दूज दो शब्द भाई और दूज के मेल से बना है। भाई दूज भारत में रक्षा बंधन की तरह भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाती हैं और उनकी समृद्धि और दीर्घायु की कामना करती हैं। भाई इस दिन बहन को बहुत से उपहार देते हैं।
वर्ष 2024 में भाई दूज विक्रम कैलेंडर के अनुसार 3 नवंबर को रविवार के दिन मनाया जाएगा। त्योहार के मुख्य अनुष्ठान 3 नवंबर को दोपहर 01:17 बजे से 03:38 किए जा सकेंगे। इस साल द्वितीया तिथि 2 नवम्बर को रात 8:21 बजे शुरू होगी और 3 नवंबर को रात्रि 10:05 बजे समाप्त होगी।
भाई दूज को लेकर कई कथाएं हैं। पहली कथा भगवान कृष्ण और उनकी बहन सुभद्रा से जुड़ी है। जब भगवान कृष्ण ने राक्षस हेलासुर को पकड़ा और अपनी बहन सुभद्रा से मिलने पहुंचे तो देवताओं ने उनकी स्तुति कर आरती की। सुभद्रा ने श्रीकृष्ण का तिलक कर उन्हें मिष्ठान खिलाया और शुभकामनाएं प्रेषित कीं। इसके बाद कृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए बहन की रक्षा करने का वचन दिया। कहते हैं यही से भाई दूज की शुरुआत हुई।
प्रसंग के अनुसार एक दिन मृत्यु के देवता यम अपनी बहन से मिलने पहुंचे तो उनकी बहन यमुना ने उनका स्वागत आरती और तिलक लगा कर किया। इस पर यमराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देते हुए कहा कि जो भी भाई इस दिन अपनी बहन से तिलक करवाएगा उसे लंबी और समृद्ध आयु प्रदान होगी। यही कारण है कि भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में भाई दूज को विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। लेकिन पारंपरिक तरीके से मनाते हुए इस दिन बहनें अपने भाइयों को चावल के आटे के आसन में बैठाकर टीका लगाती हैं और उन्हें दही और चावल का लेप लगाती हैं। इसके बाद बहन भाई की हथेली में कद्दू का फूल, पान, सुपारी और सिक्के रख मंत्रोच्चार करते हुए उस पर जल के छींटे डालती है। ऐसा करने के बाद भाई की कलाई पर कलावा बांधती है और आरती उतारी जाती है। फिर भाई उसे उपहार देता है। लेकिन देश के विभिन्न राज्यों में भाई दूज अपने-अपने तरीके से मनाई जाती है।
देशभर की तरह मध्य प्रदेश में भाई दूज बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाईयों को अपने घर पर भोज के लिए आमंत्रित करती हैं। यदि बहन की शादी नहीं हुई है तो वह भाई के घर ही उसके लिए भोज तैयार करती है और स्वादिष्ट पकवान बनाती है। भोजन के बाद भाई को तिलक लगाकर उसकी आरती उतारती है और भगवान से भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती है। भाई इस दिन बहनों के लिए उपहार लाते हैं। खासकर उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में इसी तरह भाई दूज मनाया जाता है।
महाराष्ट्र में भाई दूज को भाव बिज के नाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें भाइयों को फर्श पर एक चौक बनाकर बैठाती हैं। फिर करीथ नामक एक कड़वा फल खाती हैं। फिर भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और आरती उतारती हैं।
पश्चिम बंगाल में भाई दूज को भाई फोंटा कहा जाता है। यहां कई तरह की रस्में होती हैं। इस दिन बहनें व्रत रखती हैं और रस्में पूरी होने के बाद व्रत खोलती हैं। बहनें भाइयों के माथे पर चंदन, काजल और घी का तिलक लगाकर उनकी सलामती और लम्बी उम्र की कामना करती हैं। इस दिन बहन के घर भोज का आयोजन किया जाता है।
बिहार में भाई दूज की परंपरा सबसे अलग है। यहां बहनें इस अवसर पर अपने भाइयों को गालियां देती हैं और फिर दंड के रूप में उनकी जीभ काट कर माफी मांगने की प्रथा है। भाई उन्हें आशीर्वाद और उपहार देते हैं।
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