धान्य लक्ष्मी की महिमा

धन धान्य देने वाली हैं अन्नपूर्णा स्वरुपा मां धान्य लक्ष्मी, ग्रामीण इलाकों में इस विधि से होती है देवी की पूजा 


धान्य लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का तीसरा रूप हैं जिसे मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा गया है। धान्य का अर्थ है अनाज या अन्न। ऐसे में लक्ष्मी इस स्वरूप में अन्न या अनाज के रूप में वास करती हैं। माता के इस रूप को सदैव प्रसन्न रखने के लिए कभी भी अनाज या खाने का अनादर नहीं करना चाहिए। यह माता का आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे सरल तरीका है। लेकिन फिर भी लक्ष्मी के अन्य रुपों की तरह धान्य लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। क्योंकि धान्य लक्ष्मी अनाज या अन्न की देवी हैं। इसलिए, इनकी पूजा-अर्चना का ग्रामीण क्षेत्रों में विशेष महत्व है। 


आइए जानते हैं धान्य लक्ष्मी की पूजन विधि


धान्य लक्ष्मी की पूजा करने के लिए मां लक्ष्मी की उस प्रतिमा या तस्वीर की पूजा करें जिनके पास अनाज की ढेरी या चावल की ढेरी पर लक्ष्मीजी विराजमान हों।

ऐसा न होने पर माता की मूर्ति या चित्र को अनाज पर स्थापित कर सकते हैं।

मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं।

सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी बनाएं। 

सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। 

छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरा कलश रखें। 

तीन थालियों में से पहली में  ग्यारह दीपक रखें।

दुसरी में खीर, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी और पान रखें। 

और तीसरी थाली में फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक सजाएं।

अब विधि-विधान से पूजन करें।  

इन थालियों के सामने यजमान बैठें। परिवार के सदस्य उनकी बाईं ओर बैठें। 

फिर हाथ में पुष्प, अक्षत और थोड़ा जल लेकर स्वतिनः इंद्र वेद मंत्रों का उच्चारण करें और संकल्प लें।

संकल्प के लिए हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लें और इसमें कुछ द्रव्य यानी धन रखें। हो सके तो चांदी का सिक्का अर्पित करते हुए लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।

संकल्प के बाद सबसे पहले गणेशजी व गौरी का पूजन करें फिर वरुण पूजा और कलश पूजन करें।

भगवान का आह्वान व पूजन कर पूजा सामग्री चढ़ाएं। 

नवग्रहों का पूजन करें।

फिर जो भी मंत्र, माला, पाठ और स्तोत्र पढ़ना है वह आप कर सकते हैं। पूजन सामग्री अर्पित करें और अंत में आरती करें।

पूजा में उपयोग किया गया चांदी का सिक्का धन वाले स्थान या तिजोरी में रखें।

देवी लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब प्रिय है। फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े रखें। 


धान्य लक्ष्मी स्तोत्र


अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये ।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।


धान्य लक्ष्मी का मूल मंत्र 


“ॐ श्रीं क्लीं”


धान्य लक्ष्मी की पूजा से लाभ 


  • धान्य लक्ष्मी की पूजा करने से घर में कभी भी धान्य की कमी नहीं होती है। 
  • माता किसानों को अच्छी फसल प्रदान करती है ।

डिसक्लेमर

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