चैत्र नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त मां सिद्धिदात्री की विधि रूप से पूजा करते हैं, उन्हें अष्टसिद्धियों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि के अंतिम दिन विधिवत रूप से पूजा करनी चाहिए, इससे पूरे साल मां का आशीर्वाद बना रहता है। इसलिए विधि-विधान से पूजा करने के लिए यह सामग्री अत्यंत जरूरी हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र नवरात्रि का आखिरी दिन बहुत ही शुभ और आनंदमय है, इस दिन विधिपूर्वक किए गए सभी कार्य मां सिद्धिदात्री के कृपा से सिद्ध होते हैं। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करती हैं। चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मां की विशेष रूप से साधना करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सफलता मिलती है। साथ ही, भक्तों को दुर्लभ आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है और रोग-कष्ट सब दूर होता है।
ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का तीसरा महीना होता है। यह महीना विशेष रूप से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें कई प्रमुख व्रत, त्योहार और पूजा-अर्चना की जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के उग्र रूप में नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है। भारत में कई मंदिर हैं जो उनकी पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध हैं। यहां हम पांच प्रमुख नरसिंह मंदिरों की जानकारी देंगे, जो धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
छिन्नमस्ता जयंती दस महाविद्याओं में से छठी देवी के रूप में प्रतिष्ठित देवी छिन्नमस्ता की जयंती है। इस वर्ष यह रविवार 11 मई को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से तांत्रिक साधकों और शक्ति साधकों के लिए महत्वपूर्ण होता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मां छिन्नमस्ता, जिन्हें तंत्र साहित्य में दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान पर रखा गया है, वह मां पार्वती का उग्र रूप मानी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमय है, जो भक्तों को त्याग, बलिदान और आत्मरक्षा की दिशा में प्रेरित करती है।