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मंत्र जाप के लिए क्यों जरूरी है माला

मंत्र जाप के लिए क्यों जरूरी है माला

मंत्र जाप के लिए क्यों उपयोग होती है 108 मोतियों की माला?


सनातन धर्म में मंत्रों को बहुत शक्तिशाली माना जाता है। ये ध्वनि के ऐसे तरंग हैं जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा को आकर्षित करते हैं। मंत्र जाप प्रभु की आराधना का एक सरल और प्रभावी तरीका है। मान्यता है कि मंत्रों के उच्चारण से न केवल व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है बल्कि वातावरण भी शुद्ध होता है। मंत्रों में इतनी शक्ति होती है कि वे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं। लेकिन मंत्र जाप का पूरा लाभ तभी मिलता है जब इसे नियमों के अनुसार किया जाए। मंत्र उच्चारण करते समय कुछ सावधानियां बरतनी बेहद जरूरी होती हैं, अन्यथा प्रार्थना व्यर्थ चली जाती है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं मंत्र जाप के दौरान की सावधानियां और जाप की सही विधि को? 

माला से ही क्यों करते हैं मंत्र जाप?


हर मंत्र से अलग तरह की शक्ति उत्पन्न होती है। देवी-देवताओं की पूजा-पाठ करने के लिए कई प्रकार की मालाओं का इस्तेमाल किया जाता हैं। शास्त्रों के अनुसार मंत्र जाप के लिए माला का उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि मंत्र जप की संख्या में कोई त्रुटि न हो। माला में 108 दाने होते हैं। शास्त्रों में विशेष मनोकामना पूर्ति हेतु मंत्रों की निश्चित संख्या का वर्णन किया गया है। 

मंत्र जाप करने के दौरान किन नियमों का करें पालन?


  • मंत्र जाप एक पवित्र क्रिया है और इसे सही तरीके से करने के लिए कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है। इनमें से एक महत्वपूर्ण नियम है आसन का उपयोग। हमेशा मंत्र जाप जमीन पर बैठकर ही करना चाहिए और इसके लिए एक आसन का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • मंत्र जाप के लिए जिस माला का एक बार उपयोग किया जाए, उसे ही सदा के लिए उपयोग करना चाहिए। अन्य माला से किया गया जाप उतना प्रभावशाली नहीं होता। जाप संपन्न होने के पश्चात, माला को शुद्ध वस्त्र में लपेटकर रखना चाहिए। इसे कील पर लटकाने से माला की पवित्रता कम हो जाती है।
  • शास्त्रों के अनुसार मंत्र जाप एक पवित्र और आध्यात्मिक अनुष्ठान है। तर्जनी अंगुली को अहंकार का प्रतीक माना जाता है। मंत्र जाप के दौरान अहंकार का कोई स्थान नहीं होता है। गरुण पुराण में कहा गया है कि मंत्र जाप के दौरान तर्जनी अंगुली का प्रयोग करना ईश्वर को अंगुली दिखाने के समान है। शास्त्रों के अनुसार, साधना के दौरान छींक या जम्हाई आने से जाप का पुण्य क्षीण हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए एक तांबे के पात्र में जल और तुलसी डालकर अपने पास रखें। छींक या जम्हाई आने पर इस जल को मस्तक और दोनों नेत्रों से लगा लें। इससे वायु दोष नहीं लगेगा और जाप का प्रभाव बना रहेगा। इसलिए माला को किसी वस्त्र से ढक कर रखें या गोमुखी में रखें।
  • मंत्र जाप खत्म होने पर थोड़ा पानी जमीन पर डालें। फिर इसी पानी से अपना माथा और आंखें धो लें। उसके बाद अपनी बैठक की मुद्रा से उठ जाएं। कहते हैं कि ऐसा करने से ही जाप का पूरा फायदा मिलता है।
  • मंत्र जाप में ध्यान रखें कि प्रत्येक मंत्र और देवी देवताओं के लिए अलग माला का उपयोग करने से मंत्र जाप का अधिक फायदा मिलता है। जैसे भगवान शिव के जाप में रुद्राक्ष की माला उपयोग करना चाहिए तो वहीं लक्ष्मी जी के जाप में कमलगटे की, गुरु मंत्र का जाप स्फेटिक या विद्युत माला से करना लाभकारी माना गया है।

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