नवीनतम लेख
गुप्त नवरात्रि में गुप्त विद्याओं की सिद्धि के लिए साधना की जाती है। इसीलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहते हैं। आषाढ़ और माघ माह के शुल्क पक्ष में गुप्त नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इसमें भी माघ माह की नवरात्र का खास महत्व है। क्योंकि इस दौरान 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। हालांकि सामान्य गृहस्थगन नौदुर्गा की पूजा करते है। चलिए यहां हम आपको बताते हैं 10 महाविद्याओं के बारे में।
गुप्त नवरात्रि की देवियां
काली माता
दस महाविद्या में काली प्रथम रुप है। आषाढ़ नवरात्रि के पहले दिन काली माता की पूजा की जाती है। महा दैत्यों का वध करने के लिए माता ने ये रुप धारण किया था। सिद्धि प्राप्त करने के लिए माता की वीरभाव में भी पूजा की जाती है। यह कज्जल पर्वत के समान शव पर आरुढ़ मुंडमाला धारण किए हुए एक हाथ में खड्ग दूसरे हाथ में त्रिशूल और तीसरे हाथ में कटे हुए सिर को लेकर भक्तों के सामने प्रकट होने वाली काली माता को नमस्कार। मां काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर जीवन पर कम हो जाता है और नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। साथ ही सभी प्रकार के भय और रोग के मुक्ति मिल जाती है। इस दिन दिन में कम से कम 108 बार 'ॐ क्रीं कालिके स्वाहा' मंत्र का जाप करें।
तारा माता
दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की पूजा की जाती है। इन्हें तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की उपासना करने से जीवन में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन दिन में कम से कम एक बार 'ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट' मंत्र की माला करें।
माता षोडशी
षोडशी माहेश्वरी शक्ति की विग्रह वाली शक्ति है। इनकी चार भुजा और तीन नेत्र हैं। इसे ललित, राज राजेश्वरी और त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है। इनमें षोडश कलाएं पूर्ण है। भारतीय राज्य त्रिपुरा में स्थित त्रिपुर सुंदरी की शक्तिपीठ है। माना जाता है कि यहां माता के धारण किए हुए वस्त्र गिरे थे। त्रिपुर सुंदरी शक्तिपीथ भारतवर्ष के अज्ञात 108 एवं ज्ञात 51 पीठों में से एक है। उल्लेखनीय है कि महाविद्या समुदाय में त्रिपुरा नाम की अनेक देवियां है, जिनमें त्रिपुरा-भैरवी, त्रिपुरा और त्रिपुरा सुंदरी विशेष रुप से उल्लेखनीय हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।' मंत्र का जाप अवश्य करें।
भुवनेश्वरी माता
भुवनेश्वरी माता को आदिशक्ति और मूल प्रकृति भी कहा गया है। भुवनेश्वरी ही शताक्षी और शकम्भरी नाम से प्रसिद्ध हुई। पुत्र प्राप्ति के लिए लोग इनकी आराधना करते हैं। मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती है। इस दिन विशेष रुप से 'ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:' मंत्र का जाप करें।
भैरवी माता
दस महाविद्याओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी की उपासना की जाती है। माता भैरवी एक शत्रुओं की विनाशिनी है और इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता की प्राप्ति होती है। इस दिन 'ॐ हनीं भैरवी क्लौं हनी स्वाहा' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें।
छिन्नमस्ता माता
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन माता छिन्नमस्ता की उपासना की जाती है। मान्यता है कि देवी की पूजा करने से आत्म-दय, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ ही शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए छिन्नमस्ता माता की पूजा की जाती है। इस दिन 'श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा।' मंत्र का जाप जरुर करें।
माता धूमावती
माता धूमावती की उपासना दस महाविद्याओं में सातवें स्थान पर की जाती है। धूमावती का कोई स्वामी नहीं है। इसीलिए यह विधवा माता मानी गई हैं। इनकी साधना से जीवन में निडरता आती है। इनकी साधना या प्रार्थना से आत्मबल में बढ़ोतरी होती है। इस महाविद्या के फल से देवी धूमावती सूकरी के रुप में प्रत्यक्ष प्रकट होकर साधक के सभी रोग और शत्रुओं का नाश कर देती है। इस दिन 'ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।' मंत्र का जाप बहुत ही प्रभावशावली माना गया है।
मां बगलामुखी
गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन मां बगलामुखी की उपासना की जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और उनसे सुरक्षा मिलती है। यह भी कहा जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती है। इस दिन ''ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।' मंत्र का जाप जरुर करें।
माता मातंगी
दस महाविद्याओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी है, जिन्हें तांत्रिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है और ज्ञान का विकास होता है। इस दिन 'ॐ हीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।' मंत्र का जाप करें।
माता कमला
गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासने करें। उन्हें तात्रिंक लक्ष्मी की संज्ञा दी गई हैं। माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन 'ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः।' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरुर करें।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।