फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है। प्रभु को खुश करने के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, आमलकी एकादशी का व्रत रखने से जातक की सभी इच्छाएं पूर्ण हो सकती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा विधि।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 9 मार्च 2025 को सुबह 07 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगी और 10 मार्च 2025 को सुबह 07 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार आमलकी एकादशी का व्रत 10 मार्च को ही रखा जाएगा।
आमलकी एकादशी के दिन विष्णु जी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा के दौरान आसन पर बैठकर ओम दामोदराय नमः, ॐ पद्मनाभाय नमः, या ॐ वैकुण्ठाय नमः इनमें से किसी एक मंत्र की कम से कम एक माला का जप करें। इससे आपके और आपके परिवार के ऊपर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी।
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ओम जय जगदीश हरे।जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का। स्वामी दुःख विनसे मन का।सुख संपत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ओम जय जगदीश हरे।मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी। स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ओम जय जगदीश हरे।तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।स्वामी तुम अन्तर्यामी। पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ओम जय जगदीश हरे।तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता। स्वामी तुम पालनकर्ता।मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ओम जय जगदीश हरे।तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। स्वामी सबके प्राणपति।किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ओम जय जगदीश हरे।दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। स्वामी तुम ठाकुर मेरे।अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ओम जय जगदीश हरे।विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। स्वामी पाप हरो देवा।श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ओम जय जगदीश हरे।श्री जगदीश जी की आरती, जो कोई नर गावे। स्वामी जो कोई नर गावे।कहत शिवानंद स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥ ओम जय जगदीश हरे।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देव शयनी एकादशी को भगवान नारायण विष्णु योग मुद्रा यानी शयन मुद्रा में चार माह के लिए चले जाते हैं।
देव उठनी एकादशी पर सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु का विवाह गन्ने के मंडप में होता है। इसकी भी अलग ही मान्यता है और इससे संबंधित कथाएं भी हैं।
कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन से सभी मंगल कार्य आरंभ करने की परंपरा है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने के बाद योग निद्रा से जागते हैं और उनके जागते ही चातुर्मास भी समाप्त होता है।
कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य की भी शुरुआत होती है।