हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए पुण्य कर्म, दान और पूजा का फल अक्षय (अविनाशी) होता है। साथ ही, इस विशेष दिन पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में धन, वैभव और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का दिन अत्यंत पावन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी का जन्म हुआ था। साथ ही, महाभारत काल में भी इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे उन्हें अन्न की कभी कमी नहीं हुई। इसीलिए ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए दान-पुण्य से जीवन में असीम सुख और पुण्य की प्राप्ति होती है।
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया की तिथि को अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इस दिन किए गए सभी पुण्य कार्यों, जैसे दान, पूजा और शुभ आरंभ का फल ‘अक्षय’ यानी कि कभी न समाप्त होने वाला होता है।
अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस साल 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। यह तिथि अत्यंत शुभ और फलदायी मानी जाती है। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
हिंदू संस्कृति में कुछ दिन इतने शुभ माने जाते हैं कि उन दिनों किसी शुभ कार्य के लिए विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है, और अक्षय तृतीया भी उन्हीं तिथियों में से एक मानी जाती है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी।
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस साल अक्षय तृतीया का पर्व विशेष रूप से 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।