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अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

अग्नि देवता की पूजा विधि क्या है?

इस विधि से करें अग्नि देवता की पूजा, घर में सुख-शांति के साथ आएगी बरकत


सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं। यज्ञों में अग्नि में आहुतियां देकर देवताओं को प्रसन्न किया जाता है। इतना ही नहीं, अग्निदेव को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। अग्नि की ज्वाला से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


आपको बता दें, सृष्टि की शुरुआत में अग्नि देवता ही प्रकट हुए थे और देव-दानव युद्ध में भी अग्नि देवता ने ही देवताओं का साथ दिया था। 

पुराणों में भी अग्नि देवता का जिक्र किया गया है। अग्नि देवता को धन और समृद्धि का देवता भी माना जाता है। उनकी पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।


अब ऐसे में अगर आप अग्निदेव की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा किस विधि से करने से लाभ हो सकता है और अग्नि देव की पूजा कब करनी चाहिए। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी द्वारा बताए गए जानकारी साझा कर रहे हैं। इसलिए आप इस लेख को विस्तार से पढ़ें। 


अग्नि देव की पूजा किस विधि से करें? 


अग्नि देव की पूजा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है। इनकी पूजा विधिवत रूप करने से शुभ परिणाम भी मिलते हैं। 


  1. शुद्धिकरण - पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और शुद्धिकरण मंत्रों का जाप करें।
  2. अग्नि कुंड - एक छोटा सा अग्नि कुंड तैयार करें।
  3. अग्निदेव पूजा - अग्नि देवता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। 
  4. दीपक - अग्नि देव के समक्ष घी का दीपक जलाएं।
  5. अग्नि प्रज्वलित करना - कुशा, लकड़ी के छोटे टुकड़े, घी आदि सामग्री तैयार रखें।
  6. अग्नि मंत्र - अग्नि प्रज्वलित करते समय अग्नि मंत्र (ऊं अग्नये स्वाहा )का जाप करें।
  7. आहुति - हवन के लिए सामग्री जौ, चावल, घी आदि तैयार करें। प्रत्येक आहुति के साथ संबंधित मंत्र का जाप करें।
  8. भोग -  अग्नि देव को प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद में आमतौर पर घी, चावल और फल शामिल होते हैं।
  9. अग्नि देव आरती - आखिर में अग्नि देव की आरती करें। 


अग्नि देव की पूजा कब करनी चाहिए? 


सोमवार और शुक्रवार को अग्नि देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप किसी भी पंचांग या पंडित से पूछकर शुभ मुहूर्त निकलवा सकते हैं और उस मुहूर्त में अग्निदेव की पूजा कर सकते हैं। 


अग्नि देव की पूजा करने के लाभ


अग्निदेव की पूजा करने से स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। अग्नि देव की पूजा करने से समृद्धि मिलती है। अग्नि देव की पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में आ रही परेशानियां दूर हो सकती है। अग्नि देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि के साथ-साथ व्यक्ति के जीवन में बरकत भी आती है। इसके अलावा अग्निदेव को साक्षी मानकर अगर कोई भी कार्य सिद्ध करना चाहते हैं, तो इससे उत्तम परिणाम मिल सकते हैं। अग्निदेव की पूजा करने के साथ-साथ मंत्रों का जाप अवश्य करना चाहिए। अग्नि देव की पूजा करने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि हो सकती है।


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रंग पंचमी का महत्व और मुहूर्त

रंग पंचमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन आसमान में गुलाल उड़ाने की परंपरा है, जिसे देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है।

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रंग पंचमी हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखती है। यह त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त वत्सल इस लेख के माध्यम से आपको बता रहे हैं कि कैसे इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने पहली बार होली खेली थी।

रंग पंचमी की कथा

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और यह पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी-देवता धरती पर आकर भक्तों के साथ होली खेलते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

रंगपंचमी के खास उपाय

रंग पंचमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने होली खेली थी, और देवी-देवता भी होली खेलने के लिए पृथ्वी पर आए थे।

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