नागा साधु कैसे बनते हैं ?

MahaKumbh 2025: 12 साल का तप और खुद का पिंडदान करके बनते हैं नागा साधु, जानिए कितनी कठिन है प्रक्रिया 


कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में होता है। जनवरी 2025 से संगम नगरी प्रयागराज में मेले की शुरुआत होने जा रही है। इस दौरान वहां ऐसे अद्वितीय नजारे देखने को मिलेंगे, जो आम लोग अपनी जिंदगी में बहुत कम ही देखते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण नागा साधु होते है, जो सिर्फ कुंभ मेले के दौरान ही दिखाई देते है।  इसके बाद वे तप के लिए हिमालय लौट जाते हैं। नागा साधु शैव संप्रदाय से जुड़े होते है और भगवान शिव के परम भक्त होते है। वे  मुख्य तौर पर अपनी कठोर जीवनशैली, निर्वस्त्र अवस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में कई लोगों के मन में यह जानने की इच्छा होती है कि नागा साधु कैसे बनते हैं और इनका जीवन कैसे होता है। 


आपको बता दें कि  नागा साधु बनने की प्रक्रिया लंबी और अत्यंत कठिन होती है, जो साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। इसके कई चरण होते हैं। 


1) पहला चरण: सांसारिक सुख का त्याग

नागा साधु बनने का पहला चरण है सांसारिक जीवन का पूर्ण त्याग। जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है , उसे अपने परिवार, धन-संपत्ति और सामाजिक संबंधों को छोड़ना पड़ता है। और सिर्फ ईश्वर की भक्ति में लीन होना होता है। सांसारिक सुख के साथ व्यक्ति को तप में भी लीन होना होता है। इसके बाद वह किसी अखाड़े में दीक्षा लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। अखाड़े या मठ हिंदू धर्म में प्रमुख स्थान होते है। जो साधु संतों के मार्गदर्शन का काम करते हैं।


2) दूसरा चरण: गुरु दीक्षा 

जब अखाड़ों के बड़े संतों को लगता है कि व्यक्ति संन्यास के लिए पूरी तरह समर्पित है, तो वो उसे गुरु दीक्षा देते हैं। दीक्षा के दौरान साधु बनने वाले व्यक्ति का "पिंडदान" और "श्राद्ध" किया जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि उसने अपने पुराने जीवन का त्याग कर दिया है और अब वह नया जीवन शुरू करने के लिए तैयार है। इस प्रक्रिया में वह अपने सांसारिक रिश्तों से मुक्ति पा लेता है। 


3) तीसरा चरण: 12 वर्षों का कठोर तप

नागा साधु बनने की दीक्षा प्राप्त करने  के बाद  12 साल तक कठोर तप करना होता है। इस दौरान  ब्रह्मचर्य, संयम, और तपस्या के नियमों का पालन करना पड़ता है। साधु को दिन-रात कठिन साधना करनी होती है, जिससे साधु अपनी शारीरिक और मानसिक इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर सके।


नपुसंकता का मिथक


नागा साधु बनने के लिए नपुसंक बनना होता है। यह एक मिथक बहुत प्रचलित है। लेकिन आपको बता दें इसमें कोई सत्यता नहीं होते है। हालांकि ये जरूर है कि नागा साधु बनने के लिए आपको सांसारिक इच्छाओं को त्यागना पड़ता है। और पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।

नागा साधु सनातन संस्कृति के गहरे मूल्यों का प्रतीक है। उनसे हमे त्याग, संयम और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है।


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