हिंदू धर्म, अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी अनेक बातें लिखी हुई हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हुई हैं। ये मान्यताएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। आपने अक्सर अपने बड़ों से सुना होगा कि रात में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए या शाम के बाद तुलसी को नहीं छूना चाहिए। ऐसी कई मान्यताएं हैं जिनके बारे में हमने अपने घरों में सुना है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्यों कहा जाता है कि रात में झाड़ू न लगाएं।
आपने अपने घर के बड़ों से अक्सर सुना होगा कि शाम को सूरज ढलने के बाद झाड़ू नहीं लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शाम को झाड़ू लगाने से माता लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं। इस मान्यता के पीछे एक खास कारण है।
पुराने समय में, जब लोग रात में लालटेन या मोमबत्ती की रोशनी में काम करते थे, तो अगर कोई कीमती चीज गिर जाती थी, तो उसे ढूंढना बहुत मुश्किल होता था। ऐसे में, अगर घर में झाड़ू लगाई जाती थी, तो डर रहता था कि कहीं वह कीमती चीज़ झाड़ू के साथ घर से बाहर न निकल जाए। इसलिए, लोगों ने दिन ढलने के बाद झाड़ू लगाने को मना कर दिया। मान्यता के अनुसार, लोग सुबह-सुबह अपने घर को साफ-सुथरा करके और उसे सुंदर तरीके से सजाकर घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखते हैं। ऐसा माना जाता है कि शाम के समय झाड़ू लगाने से यह सकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, रात के समय झाड़ू लगाने से घर में दरिद्रता का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय झाड़ू लगाने से मां लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं और घर में धन का अभाव होने लगता है। शाम के समय कूड़ा निकालने से भी घर में अशुभता आती है और घर की उन्नति रुक जाती है।
दिन भर की भागदौड़ के बाद घर में सकारात्मकता का संचार होता है। अगर हम शाम को झाड़ू लगाते हैं, तो यह सारी सकारात्मक ऊर्जा भी घर से बाहर निकल जाती है। इससे घर की आर्थिक स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है। रात में हमारी थकान और तनाव घर में ही रह जाता है। सुबह झाड़ू लगाने से यह नकारात्मकता दूर होती है और दिन की शुरुआत सकारात्मक होती है।
झाड़ू खरीदने और फेंकने के लिए कुछ विशेष दिनों का महत्व होता है। हमारे धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू को केवल कुछ खास दिनों में ही खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि झाड़ू खरीदने और फेंकने का सही समय चुनने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।
शनिवार को नई झाड़ू खरीदना भी शुभ माना जाता है। शनिवार को शनि देव का दिन होता है और शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। इसके अलावा गुरुवार भगवान विष्णु और शुक्रवार मां लक्ष्मी का दिन होता है। इन दिनों झाड़ू को घर से बाहर फेंकना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी नाराज हो सकते हैं और घर में धन और समृद्धि की कमी हो सकती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, उस पर पैर मारना शुभ नहीं माना जाता है और इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।
हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाने वाला देव दिवाली पर्व भगवान शिव की विजय का प्रतीक है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्गलोक में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।
देव दिवाली, जो कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर मनायी जाती है, भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था, इसके उपलक्ष्य में देवताओं ने स्वर्ग में दीप जलाकर दिवाली मनाई थी।
हिंदू धर्म में देव दिवाली का पर्व विशेष धार्मिक महत्व है। इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही किया था। तब देवताओं ने प्रसन्न होकर दिवाली मनाई।
कार्तिक माह की पूर्णिमा को देव दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 15 नवंबर को मनाया जाएगा जो सुबह 6:20 बजे से शुरू होकर मध्यरात्रि 2:59 बजे समाप्त होगा।