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गणेश विसर्जन की परंपरा कैसे शुरू हुई

गणेश विसर्जन की परंपरा कैसे शुरू हुई

क्यों किया जाता है गणेश विसर्जन? जानिए क्या है इसकी कहानी


सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दौरान भक्त पूरी श्रद्धा के साथ गणपति जी का अपने घर में स्वागत करते हैं। इस उत्सव को 10 दिनों तक मनाया जाता है। लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार, डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 10 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना करते हैं। अंत में विधि-विधान से उनका विजर्सन किया जाता है। गणेश विजर्सन अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। तो आइए इस आलेख में गणेश विसर्जन के कारण और पौराणिक कथा को विस्तार से जानते हैं। 



क्यों करते हैं विसर्जन? 


हिंदू धर्म में गणपति जी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेश पूजन के बाद भगवान गणेश से प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना में भक्त भगवान गणेश से अगले साल फिर से सुख-समृद्धि और खुशियों के साथ घर में पधारने की विनती करते हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। 



क्या है गणेश विसर्जन पौराणिक कथा? 


अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणपति को जल में विसर्जित कर दिया जाता है। दरअसल, गणेश जी जल तत्व के अधिपति हैं। पुराणों के अनुसार, वेद व्यास जी भगवान गणेश को कथा सुनाते थे और बप्पा उसे लिखते थे। कथा सुनाते समय वेद व्यास जी ने अपने नेत्र बंद कर लिए। वो 10 दिन तक कथा सुनाते गए और बप्पा उसे लिखते गए। लेकिन, जब दस दिन बाद वेद व्यास जी ने अपने नेत्र खोले तो देखा कि गणपति जी के शरीर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था। वेद व्यास जी ने उनका शरीर ठंडा करने के लिए ही उन्हें जल में डुबा दिया जिससे उनका शरीर पुनः ठंडा हो गया। कहा जाता है कि उसी समय से यह मान्यता चली आ रही है कि गणेश जी को शीतल करने के लिए ही गणेश जी को विसर्जित किया जाता है।



जानिए विसर्जन की दूसरी कथा


एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश जी की दक्षिण में अपने भाई कार्तिकेय के यहां कुछ दिनों के लिए रहने गए। गणेश जी ने वहां रहते हुए सबका मन मोह लिया। फिर 10 दिन बाद वह वहां से ​अपने धाम के लिए विदा हुए और इस दौरान भगवान कार्तिकेय समेत सभी लोग काफी भावुक हो गए। तब उन्होंने गणपति जी को अगले साल फिर से आने का न्योता दिया। धार्मिक मान्यता हैं कि तभी से गणेश चतुर्थी के 10वें दिन गणेश जी का विसर्जन का प्रत्येक साल मनाया जाता है। 


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स्कंद षष्ठी व्रत पूजा विधि

हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। स्कंद षष्ठी व्रत जीवन में शुभता और समृद्धि लाने का एक विशेष अवसर है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं।

गणेश जी की आरती व मंत्र

प्रत्येक महीने दो पक्ष होते हैं शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है, जबकि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। मार्गशीर्ष महीने में मनाई जाने वाली विनायक चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा पाने का उत्तम समय है।

मेरे मन के अंध तमस में (Mere Man Ke Andh Tamas Me Jyotirmayi Utaro)

जय जय माँ, जय जय माँ ।
जय जय माँ, जय जय माँ ।

दिसंबर में कब है दुर्गा अष्टमी?

शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी मां दुर्गा की आराधना के लिए समर्पित होती है। इस विधि-विधान से व्रत और पूजा करके मां दुर्गा की स्तुति की जाती है।

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