Logo

वीर लक्ष्मी की महिमा

वीर लक्ष्मी की महिमा

माता लक्ष्मी का ये स्वरूप देता है विजयी होने का आशीर्वाद, जानिए क्या है वीर लक्ष्मी की सही पूजा विधि 


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्ट लक्ष्मी में वीर लक्ष्मी वीरता और साहस की देवी हैं। जो दुश्मनों पर विजय दिलाने में सहायक हैं। वीर लक्ष्मी की प्रचलित पौराणिक कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है। यह कथा भगवान कृष्ण के समय की है।


जानिए क्या है पूरी कथा 


भगवान कृष्ण के समय में एक राजा थे जिनका नाम था राजा सूर्यदत्त। वह बहुत ही धार्मिक और न्यायप्रिय थे। एक दिन, राजा सूर्यदत्त को एक सपना आया जिसमें उन्हें भगवान कृष्ण ने कहा कि वे उनकी पत्नी रुक्मिणी के साथ वीर लक्ष्मी की पूजा करें। राजा सूर्यदत्त ने भगवान कृष्ण की आज्ञा का पालन किया और वीर लक्ष्मी की पूजा की। इसके बाद, उन्हें भगवान कृष्ण की कृपा से बहुत सारी समृद्धि और शक्ति प्राप्त हुई। वीर लक्ष्मी की पूजा करने से राजा सूर्यदत्त ने युद्ध में विजय प्राप्त किया और उनका राज्य और समृद्ध हो गया।

इसके बाद वीर लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा शुरू हुई और लोग उन्हें शक्ति और समृद्धि की देवी के रूप में पूजने लगे। 


कैसा है वीर लक्ष्मी का स्वरूप ? 


वीर लक्ष्मी देवी चारभुजा धारी कमल पर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं। इनकी आठ भुजाओं में पाश, कमल, वरद मुद्रा, अभय मुद्रा, अंकुश, अक्ष सूत्र और पात्र होते हैं। माता का यह स्वरूप आयु, संपत्ति, ऐश्वर्य और सुख देने वाला माना गया है।


वीर लक्ष्मी जी की पूजा से लाभ 


वीर लक्ष्मी योद्धाओं की आराध्य देवी मानी जाती है। जीवन का युद्ध हो या मैदान का युद्ध दोनों ही जगह देवी हमारी रक्षा करती है। वीर लक्ष्मी देवी की आराधना से कानूनी विवाद में जीत, युद्ध में सफलता, रोग से छुटकारा तथा सौभाग्य के साथ स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार राजा सूर्य दत्त को वीर लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि और शक्ति प्राप्त हुई थी। वीर लक्ष्मी की पूजा करने से न्याय और धर्म की विजय होती है तथा भगवान कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।


वीर लक्ष्मी की पूजा के लिए इस विधि  करें पालन


  • सर्वप्रथम स्नान करके साफ व रेशमी वस्त्र धारण करें
  • पूजा स्थल पर वीर लक्ष्मी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
  • वीर लक्ष्मी को फूल,फल,और मिठाई चढ़ावे।
  • “ऊँ वीर लक्ष्म्यै नमः” का जाप करते हुए सम्पूर्ण पूजन सामग्री एक एक करके चढ़ाएं।
  • अब वीर लक्ष्मी की आरती करें व नैवेद्य अर्पित करें।

........................................................................................................
पौष माह के व्रत त्योहार

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष के बाद पौष का महीना आता है। ये हिंदू कैलेंडर का 10वां महीना होता है। पौष के महीने में सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

ये होगा साल का सबसे छोटा दिन

प्रत्येक साल में एक दिन सबसे छोटा होता है। दरअसल, इस दिन सूर्य धरती के दक्षिणी गोलार्ध में अपने चरम बिंदु पर होता है। ज्योतिष के अनुसार साल के सबसे छोटे दिन तक भगवान सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर चुके होते हैं।

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

हिंदू धर्म में वनदेवी को जंगलों, वनस्पतियों, और वन्य जीवों की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, कई आदिवासी समुदायों में वनदेवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है।

जल देवता की पूजा कैसे करें?

हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं के एक विशेष स्थान और महत्व है। सभी देवी-देवताओं की पूजा भी विशेष रूप से करने का विधान हैं। वहीं देवी-देवताओं के साथ-साथ पंचतत्व की पूजा-अर्चना भी विशेष रूप की जाती है।

यह भी जाने
HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang