फाल्गुन’ हिंदू पंचांग का अंतिम महीना है जिसके बाद हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। फाल्गुन को हर्ष और उल्लास का महीना माना जाता है। जॉर्जियन कैलेंडर के अनुसार यह महीना फरवरी और मार्च को में पड़ता है। वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास में दो बड़े ही लोकप्रिय हिंदू त्योहार आते हैं जिन्हें देश भर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। जिसमें पहला मुख्य त्योहार है महाशिवरात्रि और दूसरा है रंगों का त्योहार होली। तो आइए, इस आर्टिकल में फाल्गुन मास में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के नाम और तारीख के बारे में विस्तार पूर्वक जानते हैं।
पंचांग के अनुसार, 13 फरवरी से फाल्गुन माह का आरंभ हो जाएगा और इसका समापन 14 मार्च को दुल्हेंडी के दिन होगा। बता दें कि, इस पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ और माता भगवती की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि इस महीने में किए गए दान-पुण्य से मनुष्य को सुख, समृद्धि और यश की प्राप्ति होती है।
फाल्गुन महीने का धार्मिक महत्व माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव, श्रीकृष्ण, माता पार्वती, माता लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विशेष विधान होता है। इस महीने में की महत्ता का वर्णन रामायण, महाभारत जैसे धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। हिंदू कैलेंडर के इस आखिरी महीने के बाद हिंदू नववर्ष आता है जो कि चैत्र नवरात्र का पहला दिन होता है। इस माह में दान-पुण्य और स्नान-ध्यान का भी महत्व है।
शास्त्रों के अनुसार देव उठनी एकादशी भगवान् श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ट दिन है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है।
पौराणिक मान्यता है कि देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग कर एक बार पुनः संसार के संचालन की कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।
सनातन धर्म में सभी तिथि किसी ना किसी देवी-देवता को ही समर्पित है। इसी प्रकार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है।
“बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला।” ये कहावत तो हर किसी ने अपने घर में सुनी होगी। दरअसल, ये वही कहावत है जिसके द्वारा हर किसी के घर में देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान का आह्वान होता है।