June 2025 karnavedha Muhurat : जून 2025 में कर रहे हैं कर्णवेध संस्कार या कान छेदन प्लान? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र
यदि आप जून 2025 में कर्णवेध संस्कार या कान छेदन करने का प्लान बना रहे हैं, तो जून महीने में कुल 9 शुभ मुहूर्त हैं। इन शुभ मुहूर्तों को ध्यान में रखकर आपका संस्कार सफल और शुभ होगा।
जून 2025 में कर्णवेध के लिए 5, 6, 7, 15, 16, 20, 21, 26 और 27 जून की तिथियां सबसे उपयुक्त मानी गई हैं। नीचे दिए गए मुहूर्त और नक्षत्र के अनुसार आप अपने बच्चे के कर्णवेध संस्कार का आयोजन कर सकते हैं।
जून 2025 कर्णवेध मुहूर्त विवरण
- 5 जून 2025, गुरुवार – सुबह 08:51 से दोपहर 03:45 बजे तक, नक्षत्र: हस्त
- 6 जून 2025, शुक्रवार – सुबह 08:47 से दोपहर 03:41 बजे तक, नक्षत्र: हस्त
- 7 जून 2025, शनिवार – प्रातः 06:28 से 08:43 बजे तक, नक्षत्र: चित्रा
- 15 जून 2025, रविवार – शाम 05:25 से 07:44 बजे तक, नक्षत्र: श्रावण
- 16 जून 2025, सोमवार – सुबह 08:08 से शाम 05:21 बजे तक, नक्षत्र: धनिष्ठा
- 20 जून 2025, शुक्रवार – दोपहर 12:29 से शाम 07:24 बजे तक, नक्षत्र: रेवती
- 21 जून 2025, शनिवार – सुबह 10:08 से दोपहर 12:26 बजे तक और दोपहर 02:42 से शाम 06:25 बजे तक, नक्षत्र: अश्विनी
- 26 जून 2025, गुरुवार – सुबह 09:49 से शाम 04:42 बजे तक, नक्षत्र: आर्द्रा
- 27 जून 2025, शुक्रवार – सुबह 07:24 से 09:45 बजे तक और दोपहर 12:02 से शाम 06:56 बजे तक, नक्षत्र: पुनर्वसु
कर्णवेध संस्कार का महत्व
कर्णवेध संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह संस्कार बच्चे के कान छेदन के लिए किया जाता है ताकि उसकी सुनने की क्षमता बढ़े और वह स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सके। इसके साथ ही यह संस्कार बच्चे की बुद्धिमत्ता, सौंदर्य और समृद्धि को बढ़ाने में सहायक माना जाता है।
कर्णवेध से हर्निया जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव होता है और लकवे आने की आशंका भी कम होती है। इसलिए यह संस्कार बच्चे के जीवन में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाने वाला माना जाता है।
कर्णवेध संस्कार से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
- बच्चे के जन्म के महीने में कर्णवेध संस्कार न करें।
- संस्कार सुबह सूर्योदय के बाद और दोपहर से पहले करना शुभ रहता है।
- आप जन्म के 12वें या 16वें दिन भी यह संस्कार करवा सकते हैं।
- बच्चे के जन्म के 6वें, 7वें या 8वें महीने में भी कर्णवेध संस्कार किया जा सकता है।
- यदि बच्चे का कर्णवेध संस्कार 1 साल के अंदर न हो तो इसे तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष में करना चाहिए।
आग बहे तेरी रग में
तुझसा कहाँ कोई जग में
ऊँचे ऊँचे भवनों बैठी रुप अनेकों धारे,
चरण चाकरी कर लो भैया,
बोलो राम, जय जय राम, बोलो राम
जन्म सफल होगा बन्दे,
वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।