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देवी के नर्मदा स्वरूप की होती है पूजा, भगवान शिव का असितांग अवतार भी यहीं (Devee Ke Narmada Svaroop Ke Hote hai Pooja, Bhagawan Shiv Ka Asitaang Avataar Bhee Yaheen)

देवी के नर्मदा स्वरूप की होती है पूजा, भगवान शिव का असितांग अवतार भी यहीं (Devee Ke Narmada Svaroop Ke Hote hai Pooja, Bhagawan Shiv Ka Asitaang Avataar Bhee Yaheen)

मध्य प्रदेश में मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक कालमाधव शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना लगभग 6000 साल पहले हुई थी। माना जाता है कि यहां माता सती का बायां कूल्हा गिरा था।


कालमाधव मंदिर में देवी सती को काली के रूप में और भगवान शिव असितांग के रूप पूजा जाता है। कालमाधव काली शक्तिपीठ मंदिर की आंतरिक वेदी पर देवी नर्मदा का एक प्रतीक है। जो चारों ओर से चमकदार मुकुट से ढका हुआ है। सफेद पत्थर से बना यह मंदिर तालाबों से घिरा हुआ है, जो इसे एक बेहतरीन जगह बनाता है।


अमरकंटक, मध्य प्रदेश के प्रमुख शहर जबलपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित हैं। जो रेल, सड़क और हवाई मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अन्य शहरों से भी अमरकंटक की कनेक्टिविटी दुरुस्त है।


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गोवर्धन पूजा शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव के दौरान गोवर्धन पूजा का त्योहार बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट पर्व के नाम से भी जाना जाता है।

गोवर्धन पूजा पर क्यों होता है अन्नकूट

गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्‍ण, गोवर्धन पर्वत, गाय और गौवंश की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्‍ण को उनका भोग लगाने और अन्नकूट महोत्सव का भी विधान है।

गोवर्धन पूजा की संपूर्ण कथा

दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतीक स्वरूप पूजा-अर्चना करने का विधान है।

कैसे हुई भाई दूज मनाने की शुरुआत

पांच दिवसीय दीपावली त्योहार का समापन भाई दूज के साथ होता है। भाई दूज विक्रम संवत हिंदू कैलेंडर में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस पर मनाया जाता है।

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