सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है और इस पवित्र महीने के प्रत्येक सोमवार को व्रत, उपासना और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। सावन का अंतिम सोमवार, 4 अगस्त को पड़ रहा है, शिवभक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन की गई पूजा विशेष रूप से फलदायी होती है और भगवान शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यदि इस दिन पूजा विधिपूर्वक की जाए, तो जीवन की अनेक बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
ब्राह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। यह शरीर और मन को शुद्ध करता है तथा पूजा में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
स्नान के पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को जल अर्पित करें। अर्घ्य देते समय ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
यदि संभव हो तो नजदीकी शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें। यदि मंदिर जाना संभव नहीं है, तो घर पर मिट्टी, धातु या पारद शिवलिंग की पूजा करें।
गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और शुद्ध जल से शिवलिंग का षडोपचार अभिषेक करें। प्रत्येक सामग्री अर्पण के साथ ‘ॐ नमः शिवाय’ का उच्चारण करें।
शिवलिंग पर चंदन, अक्षत (चावल), सफेद और पीले पुष्प, बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद चंदन आदि अर्पित करें। ये सभी भगवान शिव को अत्यंत प्रिय माने जाते हैं।
भगवान शिव को फल, खीर, गुड़, सूखे मेवे, नारियल और मिठाई का भोग लगाएं। विशेष रूप से दूध और बेलपत्र अर्पण करें।
देसी घी का दीपक और कपूर जलाकर भगवान शिव की आरती करें। आरती के साथ घंटी बजाएं और गंध, धूप, दीप से पूजन करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। साथ ही शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। यह मानसिक शांति और इच्छापूर्ति में सहायक होता है।
रात्रि में भगवान शिव के भजन, कीर्तन और स्तुति करें। संभव हो तो जागरण करें और शिव तांडव स्तोत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।