सावन मास हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, और इस महीने की शिवरात्रि को विशेष स्थान प्राप्त है। वर्ष 2025 में सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान शिव की भक्ति और कृपा प्राप्ति का श्रेष्ठ अवसर होता है, जब लाखों श्रद्धालु उपवास, जलाभिषेक और रात्रि जागरण के माध्यम से भोलेनाथ को प्रसन्न करते हैं।
सावन का महीना स्वयं भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उल्लेख मिलता है कि यह मास शिवभक्ति के लिए सबसे उत्तम है। इस महीने की शिवरात्रि को विशेष रूप से पुण्यकारी माना गया है क्योंकि यह दिन भगवान शिव के प्रति प्रेम, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक होता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब कालकूट विष निकला, तब सृष्टि को उसकी तीव्रता से बचाने के लिए भगवान शिव ने उस विष को अपने कंठ में धारण किया था। इस कारण उनका कंठ नीला पड़ गया और वे नीलकंठ कहलाए। ऐसा माना जाता है कि यह घटना सावन मास की शिवरात्रि को ही हुई थी, इसलिए इस दिन का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।
जब भगवान शिव ने विष का पान किया, तब देवताओं ने उन्हें शीतलता देने के लिए गंगाजल और अन्य पवित्र द्रव्यों से अभिषेक किया था। यही कारण है कि सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक, दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करना अत्यंत शुभ और फलदायक माना जाता है।
धार्मिक विश्वास है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने, शिव-पार्वती की पूजा करने और ‘ॐ नमः शिवाय’ अथवा ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से विवाह, संतान सुख और आरोग्यता की कामनाओं के लिए यह दिन अत्यंत फलदायी माना जाता है।