सावन का महीना भगवान शिव की उपासना का सबसे पवित्र समय माना जाता है। यह मास भक्तों के लिए श्रद्धा, उपवास और पूजा का विशेष अवसर होता है। सावन 2025 की शुरुआत अत्यंत शुभ योग के साथ हो रही है। पंचांग के अनुसार, सावन के पहले दिन शुक्र ग्रह मालव्य राजयोग का निर्माण कर रहा है। यह राजयोग अत्यंत दुर्लभ होता है और जब यह शुभ तिथियों पर बनता है तो उसका प्रभाव अत्यंत फलदायी माना जाता है।
मालव्य राजयोग पंचमहापुरुष योगों में से एक है, जो शुक्र ग्रह के प्रभाव से बनता है जब शुक्र वृषभ, तुला, या मीन राशि में केंद्र स्थान में स्थित होता है और उच्च स्थिति में होता है। इस योग के प्रभाव से सौंदर्य, ऐश्वर्य, कला, भक्ति, और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। जब यह योग सावन जैसे पवित्र मास के पहले दिन बनता है, तब इसका प्रभाव और भी शुभ हो जाता है।
सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करना विशेष फलदायी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, निम्न चीजें शिवलिंग पर अर्पित करनी चाहिए:
सावन मास में शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा करना अत्यंत फलदायक माना गया है। माता को सिंदूर, चूड़ियां, कंघी, बिंदी, मेहंदी, इत्र जैसे शृंगार के वस्त्र अर्पित करने से सौभाग्य और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं के लिए यह विशेष रूप से लाभकारी होता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार, परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम के जन्मदिवस के रूप में जाना जाता है।
विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उनका जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था, जिसे परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है।
हिन्दू धर्म में भगवान परशुराम प्रमुख और चिरंजीवी यानि अमर देवताओं में से एक माने जाते हैं। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार कहा गया है, जिनका धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतार हुआ था।
भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, वे न केवल धर्म के रक्षक थे बल्कि एक महान युद्ध आचार्य भी थे। उन्होंने कई महान योद्धाओं को शस्त्र और युद्ध की विद्या का ज्ञान दिया था, जिनमें से तीन शिष्य ऐसे थे जिन्होंने महाभारत के ऐतिहासिक युद्ध में कौरवों की सेना की डोर संभाली थी।