क्या भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं

Parshuram Story: क्या भगवान परशुराम आज भी हैं जीवित, जानिए महेंद्रगिरि पर्वत से जुड़ा रहस्य


हिन्दू धर्म में भगवान परशुराम प्रमुख और चिरंजीवी यानि अमर देवताओं में से एक माने जाते हैं। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार कहा गया है, जिनका धर्म की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए अवतार हुआ था। परशुराम जयंती भगवान परशुराम का जन्म उत्सव है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

भगवान परशुराम कलयुग के देवता को देंगे शस्त्र विद्या


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम आज भी जीवित हैं। उन्हें चिरंजीवी अर्थात अमर माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि वे इस युग में भी धरती पर किसी गुप्त स्थान पर तपस्या कर रहे हैं। साथ ही, भविष्य में कलयुग के देवता भगवान कल्कि को शस्त्र विद्या सिखाने के लिए वापस प्रकट होंगे। इस कथा का वर्णन विभिन्न पुराणों जैसे महाभारत, विष्णु पुराण और भागवत पुराण में किया गया है।

आज भी महेंद्रगिरि पर्वत पर करते हैं भगवान परशुराम तपस्या 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम आज भी ओडिशा राज्य के महेंद्रगिरि पर्वत पर तपस्या कर रहे हैं। यह पर्वत गजपति जिले में स्थित है और इसे भगवान परशुराम का तपस्या स्थल कहा जाता है। इसलिए महेंद्रगिरि पर्वत की चोटी पर स्थित परशुराम मंदिर में उनके दर्शनों के लिए हर साल हजारों श्रद्धालु जाते हैं। 

सूर्योदय से सूर्यास्त तक हिमालय में करते हैं परशुराम निवास

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम सूर्योदय होते ही हिमालय की ओर प्रस्थान करते हैं और सूर्यास्त होने से पहले महेंद्रगिरि लौट आते हैं। भगवान परशुराम की इस रहस्यमय दिनचर्या को आज भी महेंद्रगिरि के स्थानीय श्रद्धालु मानते हैं और मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। 

परशुराम हैं भगवान विष्णु के अविनाशी अवतार 


  • भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। वे ब्राह्मण कुल में जन्मे, लेकिन क्षत्रिय गुणों से पूर्ण थे।
  • परशुराम ने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महायोद्धाओं को शस्त्र विद्या सिखाई थी।
  • उन्हें भगवान विष्णु का ‘अविनाशी अवतार’ कहा जाता है क्योंकि वे त्रेतायुग, द्वापरयुग और अब कलियुग में भी जीवित हैं।
  • परशुराम का मुख्य अस्त्र फरसा था, जिसे उन्होंने भगवान शिव से प्राप्त किया था और इसीलिए उनका नाम परशुराम रखा गया। 

........................................................................................................
सीता राम दरस रस बरसे(Sita Ram Daras Ras Barse Jese Savan Ki Jhadi)

चहुं दिशि बरसें राम रस,
छायों हरस अपार,

कला साधना पूजा विधि

कला को साधना कहा जाता है , क्योंकि यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि आत्मा की एक गहरी यात्रा होती है। चाहे वह संगीत, नृत्य, चित्रकला, मूर्तिकला, नाटक या किसी अन्य रूप में हो।

2025 की पहली शनि त्रयोदशी कब है

जब शनिवार और त्रयोदशी तिथि एक साथ आती है तो उसे शनि त्रयोदशी कहते हैं। यह एक खास दिन होता है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है।

तेरे पावन माँ नवरात्रों में, ज्योत तेरी जगाए हुए हैं: भजन (Tere Paawan Maa Navratron Main Jyot Teri Jagaye Huye Hai)

तेरे पावन माँ नवरात्रों में,
ज्योत तेरी जगाए हुए हैं,

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।